प्रेमचंद: प्रदूषण एवं स्वास्थ्य का सवाल : शुभनीत कौशिक
जहाँ शिक्षा और आलोचनात्मक सोच को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिलता, वहाँ पर्यावरणीय ही नहीं, बौद्धिक प्रदूषण भी समान गति से ...
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जहाँ शिक्षा और आलोचनात्मक सोच को पर्याप्त प्रोत्साहन नहीं मिलता, वहाँ पर्यावरणीय ही नहीं, बौद्धिक प्रदूषण भी समान गति से ...
साहित्य के लिए भाषा का सौंदर्य जितना महत्त्वपूर्ण है, उतनी ही उसकी वह कारीगरी भी, जिससे वह जीवन के सुख-दुख, ...
प्रेमचंद की कहानी ‘शतरंज के खिलाड़ी’ का यह शताब्दी वर्ष है. सौ वर्ष पहले 1924 में यह कहानी ‘माधुरी’ में ...
प्रेमचंद की कहानियों में ‘शतरंज के खिलाड़ी’ और ‘कफ़न’ का अपना ख़ास स्थान है. एक को जहाँ देशी रियासतों के ...
हिंदी के वरिष्ठ आलोचक रविभूषण बुद्धिजीवियों की ज़िम्मेदारी समझते हैं. इसी शीर्षक से उनकी पुस्तक भी प्रकाशित हुई है जिसमें ...
1935 में मूल रूप में उर्दू में लिखी गयी प्रेमचंद की कहानी ‘कफ़न’ हिंदी में ‘चाँद’ पत्रिका के अप्रैल, १९३६ ...
प्रेमचंद की परम्परा क्या है और उनकी परम्परा का किस तरह विकास हुआ है. यह ऐसा विषय है जिसपर लगातार ...
प्रेमचंद (31 जुलाई, 1880-8 अक्तूबर 1936) की आज पुण्यतिथि है. प्रेमचंद के लेखन में निर्मित हो रहे आधुनिक भारत की ...
मनीष दिल्ली विश्वविद्यालय में शोध अध्येता हैं, वे वर्तमान में ‘फणीश्वरनाथ रेणु के साहित्य में भूमि, जाति एवं राजनीति का ...
१०० वर्ष पूर्व प्रकाशित ‘सेवासदन’ को कथाकार प्रेमचंद का ‘पहला मुख्य उपन्यास’ माना जाता है, इस शताब्दी वर्ष में इसका ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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