अयोध्या में कालपुरुष! : बोधिसत्व
महानायकों का जीवन ही नहीं अवसान भी काव्य जैसा होता है. वे असाधारण मृत्यु के लिए अभिशप्त हैं. बीसवीं सदी ...
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महानायकों का जीवन ही नहीं अवसान भी काव्य जैसा होता है. वे असाधारण मृत्यु के लिए अभिशप्त हैं. बीसवीं सदी ...
कविता का कार्य सूचित करना नहीं अर्थ देना है. कौशलेन्द्र की कविता-यात्रा में इसे देखा जा सकता है. बताने से ...
युद्धों की बर्बरता का प्रतिपक्ष कविता में है. महायुद्दों ने महाकाव्यों को जन्म दिया है. विश्वयुद्दों से तीखी झड़प अस्तित्ववादी ...
अब युद्ध हथियारों और आख्यानों के साथ लड़े जाते हैं. हथियार ज़मीन पर गिरते हैं और आख्यान दिमाग़ पर असर ...
गिरिराज किराडू को उनकी पहली प्रकाशित कविता ‘मेज’ के लिए भारतभूषण अग्रवाल सम्मान मिला था. पिछले दो दशकों से संपादन ...
कवि बोधिसत्व की इस कविता में गांधी जी से जो सवाल पूछे गये हैं, अगर आज वह होते तो जैसी ...
असमति के इस दूसरे अंक में विनोद दास, लीलाधर मंडलोई, नवल शुक्ल, सविता सिंह, पवन करण, प्रभात, केशव तिवारी, प्रभात ...
रुस्तम जैसे कवि की एक साथ बीस कविताओं को पढ़ना विचार और संवेदना के किसी समानांतर दुनिया में कुछ देर ...
वरिष्ठ कवि नरेंद्र जैन के अनुसार लाल्टू की कविताएँ पढ़ते हुए ‘ऐसे कवि से साक्षात्कार होता है जो सत्ता और ...
सघन प्रेम की कविताएँ हैं. स्त्री ख़ुद को देख रही है. अपने प्रिय के साथ ख़ुद को देखते हुए वह ...
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