पक्षधरता का चुनाव और आचरण का संकट : कुमार अम्बुज
लेखन ही नहीं लेखक का सामाजिक व्यक्तित्व भी वाद-विवाद के विषय रहे हैं. हिंदी साहित्य का मुख्य स्वर अभी भी ...
लेखन ही नहीं लेखक का सामाजिक व्यक्तित्व भी वाद-विवाद के विषय रहे हैं. हिंदी साहित्य का मुख्य स्वर अभी भी ...
हारुकी मुराकामी की कहानी ‘शिनागावा बंदर’ 2006 में प्रकाशित हुई थी, यह बन्दर मनुष्यों की तरह बोलता था और जिससे ...
75 वर्षीय जापानी कथाकार हारुकी मुराकामी वर्षों से साहित्य के नोबेल पुरस्कार के संभावित लेखक के रूप में देखे जा ...
जब इतिहास करवट बदलता है, साहित्य भी अंगड़ाई लेता है. दबे स्वर सुनाई पड़ने लगते हैं. हिंदी साहित्य के इतिहास ...
शिल्पा कांबले मराठी कथा-साहित्य की सुपरिचित लेखिका हैं. एक युवा लड़की और उसकी बिल्लियों की यह कथा महानगरीय संत्रास के ...
लोक गीत चाहे किसी भाषा में हों, सहजता और स्वाभाविकता के कारण उनकी मार्मिकता और सम्प्रेषणीयता अक्षुण्ण बनी रहती है. ...
आज चौदह नवम्बर है. स्वतंत्र भारत के स्वप्नदर्शी प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू का जन्म दिन. इसे बाल दिवस के रूप में ...
स्थापना दिवस पर मिले शुभाशीष के लिए समालोचन आपके प्रति हृदय से आभार व्यक्त करता है. वह जो कुछ है ...
‘चरथ भिक्खवे’ के अंतर्गत 15 अक्टूबर से 24 अक्टूबर 2024 के बीच बुद्ध से जुड़े स्थलों की यात्रा लेखकों द्वारा ...
हिंदी में ‘भूखी पीढ़ी’ कविता का ज़िक्र होता रहा है. हिंदी के कई कवि इससे प्रभावित भी थे. पर इसका ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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