प्रियंवदः ओमा शर्मा
प्रियंवद प्रसंग में ओमा शर्मा का यह संस्मरण भी प्रस्तुत है. व्यक्ति, कथाकार, संपादक और साहित्य के कार्यकर्ता के रूप ...
प्रियंवद प्रसंग में ओमा शर्मा का यह संस्मरण भी प्रस्तुत है. व्यक्ति, कथाकार, संपादक और साहित्य के कार्यकर्ता के रूप ...
हमारे समय के महत्वपूर्ण रचनाकार प्रियंवद देखते-देखते सत्तर पार करके बहत्तरवें वर्ष में पहुँच गए हैं. यह समय रचनाकार के ...
कविता की आंतरिकता में अभी भी लय की स्मृतियाँ सुरक्षित हैं. कभी-कभी कहीं मुखर हो जाती हैं. देवी प्रसाद मिश्र ...
बांग्ला देश में अभी जो कुछ हुआ है उससे बरबस ही गरिमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ की ...
रोहिणी अग्रवाल इधर जिस तरह का लेखन कर रही हैं उसे सभ्यता-समीक्षा कहना ज्यादा उचित होगा. ऐसी आलोचना कृति से ...
बांग्ला और अंग्रेजी में लिखने वाली मौमिता आलम एक प्रमुख भारतीय कवि-लेखक हैं. उनकी कविताएँ अनेक भाषाओं में अनूदित होकर ...
बोर्हेस (Jorge Luis Borges) ने ‘The Book of Fantasy’ शीर्षक से संपादित पुस्तक में वॉल्टर दे ला मेर की 1923 ...
‘नवारुण’ ने ‘कविता वीरेन’ शीर्षक से वीरेन डंगवाल की सम्पूर्ण कविताओं को 2018 में प्रकाशित किया था. इसकी भूमिका में ...
ख़ुर्शीद अकरम 'आजकल' उर्दू के संपादक रहे हैं. ‘सात जुमेरात’ कहानी मूल रूप से उर्दू में लिखी गई है और ...
सत्यव्रत रजक अभी अठारह के हैं. स्नातक प्रथम वर्ष के छात्र हैं. कुछ कविताएँ यत्र-तत्र प्रकाशित हुई हैं. ‘दो समलैंगिक ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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