महात्मा की ज़मीन: राजीव रंजन गिरि
स्वाधीनता संग्राम के दौरान असंख्य लोगों ने वर्षों तक इसकी निराई गुड़ाई करके इसे इस लायक बनाया था कि इसपर ...
स्वाधीनता संग्राम के दौरान असंख्य लोगों ने वर्षों तक इसकी निराई गुड़ाई करके इसे इस लायक बनाया था कि इसपर ...
एक भाषा की कविता को दूसरी भाषा में लिखते हुए जो हम करते हैं वह अनुवाद है कि पुनर्रचना, वह ...
संकीर्ण विचारों से देश तो क्या परिवार नहीं चल सकते. गणतंत्र उदात्त विचारों की नींव पर खड़े होते हैं. करुणा ...
हिमालय और उसके समाज पर शेखर पाठक दशकों से लिख रहे हैं. उनकी पुस्तक ‘हिमांक और क्वथनांक के बीच’ केवल ...
हिंदी अनुवाद : अजित हर्षे
युवा कथाकार आयशा आरफ़ीन की कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. उड़िया से हिंदी में अनुवाद करती हैं. अंग्रेजी के ...
सविता सिंह की इन नयी कविताओं में शहर है जो छूट गया था, दोस्त हैं जिनकी छवियाँ बदल गई हैं. ...
दस आधुनिक भारतीय चित्रकारों पर अशोक वाजपेयी से पीयूष दईया की बातचीत पर आधारित यह सुदीर्घ आलेख चित्रकारों और कला-गतिविधियों ...
पराधीन भारत में कुम्भ की व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी. मेले से तत्कालीन सरकार को व्यय से कई गुना ...
इतिहास-लेखन कितना संवेदनशील और राजनीतिक है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है. रसूल हमज़ातोव (मेरा दाग़िस्तान) ने ठीक ही लिखा ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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