एक आँख में शहर, दूसरी में किताब: अनुराधा सिंह
मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ...
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मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ...
अनुराधा सिंह के कविता संग्रह ‘उत्सव का पुष्प नहीं हूं’ पर वरिष्ठ कवि-लेखक विजय कुमार की यह समीक्षा देखें.
‘पानी से न लिखना पत्थर पे कोई नाम’ (अनुराधा सिंह), ‘ठेकेदार की आत्मकथा’ (आकांक्षा पारे काशिव) तथा ‘रहस्यों के खुरदुरे ...
‘उत्सव का पुष्प नहीं हूँ’ अनुराधा सिंह का दूसरा कविता संग्रह है जिसे वाणी ने प्रकाशित किया है. वरिष्ठ लेखिका ...
अनुराधा सिंह की निर्वासित तिब्बती कविताओं पर आधारित पुस्तक ‘ल्हासा का लहू’ वाणी प्रकाशन ने रज़ा फ़ाउण्डेशन के सहयोग से ...
अनुराधा सिंह ने अपने वक्तव्य में लिखा है कि कवियों को ग़ैर ज़रूरी होना आना चाहिए. कविता भी जिसे हमें ...
भुचुंग डी सोनम तिब्बत के महत्वपूर्ण कवि हैं, निर्वासन की उनकी कविताओं ने विश्व में प्रतिष्ठा प्राप्त की है. हिंदी ...
कृष्णा सोबती ने मुक्तिबोध के लिए लिखा है – “मुक्तिबोध के लेखकीय अस्तित्व में ब्रह्माण्ड के विशाल, विराट विस्तार का ...
कविताएँ हमेशा की तरह खूब लिखी जा रही हैं, तमाम माध्यमों से उनके प्रकाशन की बहुलता २१ वीं सदी की ...
अनुराधा सिंह की कविताएँ संशय की कविताएँ हैं.सबसे पहले वह लिखे हुए शब्दों को संदेह से देखती हैं कि क्या ...
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