जेम्स ज्वायस : द डेड : विश्लेषणप्रमोद कुमार शाह |
‘द डेड’ जेम्स ज्वायस की पन्द्रह कहानी के संग्रह ‘डबलिनर्स’ में अंतिम और सबसे लम्बी कहानी है. कुछ आलोचकों ने इसे उपन्यासिका भी कहा है. यह कहानी संग्रह 1914 में प्रकाशित हुआ. यद्यपि इन कहानियों को 1907 तक लिखा जा चुका था.
‘द डेड’ कहानी मृतकों, उनके विरासत, प्रेम, मतिभ्रम, आत्मानुभूति और आयरिश पहचान के प्रति विचारशील चिन्तन मनन करने को लेकर है.
जब डबलिनर्स प्रकाशित हुआ था तो कथालोचक इन कहानियों में जीवन की साधारण और मामूली-सी बातों पर विस्तृत विवरण देने और उसके प्रति रचनाकार की सघन सजगता से अभिभूत हुए. इसकी समीक्षा 1914 में टाइम्स लिटरेरी सप्लीमेंट में छपी. इसमें कहा गया कि डबलिनर्स की कहानियां उन सभी पाठकों के लिए है जिन्हें जीवन की छोटी और मामूली बातें भी अपील करती हैं.
न्यू स्टेट्समैन में भी इसकी तारीफ हुई और कहा गया कि जेम्स ज्वायस किरदारों को अपनी बात खुद कहने देने का साहस बरतते हैं.एजरा पाउंड ने ज्वायस के वास्तववादी होने की प्रशंसा की. यह भी कहा गया कि अपने इस समय में ज्वायस की कहानियाँ बहुत उच्च कोटि की हैं. आलोचकों का यह भी कहना था कि ज्वायस जैसी कहानियों से अमेरिकी पत्रिकाएँ लगभग अनजान हैं. यद्यपि अमेरिकी रचनाकारों के बारे में ऐसा नहीं है. उनका यह भी मानना था कि ‘द डेड’ कहानी एक उत्तम रचना है, मास्टरपीस कहानी है. किन्तु यह कभी भी लोकप्रिय नहीं होगा क्योंकि यह जीवित लोगों के बारे में है.
जैसे ही साहित्यिक दुनिया में ज्वायस की लोकप्रियता बढ़ी,उनकी लंबी और जटिल कृतियों ने- ‘ए पोर्ट्रेट आफ द आर्टिस्ट एज ए यंग मैन’ और ‘यूलिसिस’ कहानियों को पृष्ठभूमि में धकेल दिया.
लेकिन 1940 से इन कहानियों पर फिर से चर्चा होने लगी. आलोचकों ने ‘द डेड’ को एक महत्वपूर्ण कहानी बताया. इसे बहुपरतीय कहानी बताया. और इसकी व्याख्या और निरूपण भिन्न-भिन्न आयामों से की. टी एस एलियट ने इसे सबसे महान कहानियों में एक के रूप में वर्णित किया है.
1940 और 1950 में अकादमिक आलोचकों ने ‘द डेड’ कहानी में अत्यधिक रूचि ली. विशेषकर रूपवादी आलोचकों ने कहानी के आकार-प्रकार और संरचना पर ध्याना खींचा. इस बात को लेकर भी परीक्षण हुआ कि ज्वायस की इस कहानी में विवरणों को जिस तरह से प्रस्तुत किया गया है वह सांकेतिक स्तर के वर्णन के परे जाता है.
इसका मुख्य उदाहरण है कि कहानी में बर्फ का उल्लेख भौतिक रूप में पहले गेब्रियल के ‘गलोशेज’ के जरिए होता है, इसके बाद जब यह गेब्रियल के अनुभूति में केन्द्रीय संकेत बनता है तो पूरी कहानी इसके गिरफ्त में आ जाती है.
आलोचकों ने इस बात को रेखांकित किया है कि द डेड कहानी विभिन्न चरणों में संरचित है. पहला चरण प्रतीक्षा है जब सभी पार्टी के लिए तैयार होते हैं और गेब्रियल की प्रतीक्षा करते हैं. दूसरा चरण पार्टी स्वयं है. तीसरा चरण पार्टी से प्रस्थान करने का है.अंतिम चरण वह है जब गेब्रियल और ग्रेटा अकेले में हैं, इस चरण में कई और चरण भी हैं. इसमें आखिरी है गेब्रियल की आत्मानुभूति वाला.
कहानी की शुरुआत होती है कि दो बुजुर्ग अविवाहित बहनें- मिस केट और मिस जूलिया अपने दिवंगत भाई की एकलौती संतान मेरी जेन के साथ अशर्स आइरलैंड के अंधेरे मकान में तीस साल से रहती आई हैं और उन्होंने हमेशा की तरह क्रिसमस पर सालाना भोज का आयोजन किया है जिसमें उनके परिवार के सदस्य, पुराने पारिवारिक मित्र और निकट जान-पहचान वाले आमंत्रित हैं.
पार्टी में कहानी के केन्द्रीय पात्र उनकी स्वर्गीय बड़ी बहन एलेन के बेटे गेब्रियल के आने की बेचैनी से प्रतीक्षा होती है. वह अपनी पत्नी ग्रेटा के साथ आता है. केयरटेकर की बेटी लिली उसे द्वार पर मिलती है. वह उससे उसकी शिक्षा और शादी को लेकर बात करता है कि उसे अब जल्द ही उसकी शादी में शरीक होना है. इस पर लिली उसे बड़े कड़वेपन से जवाब देती है. उसे लगता है कि उससे कुछ गलती हुई है. वह लिली को क्रिसमस उपहार के रूप में एक सिक्का देकर सीढियाँ चढ़ता है.
गेब्रियल की मुठभेड़ जिस तरह से लिली से होती है, उसके बाद उसके मन में अपने उस भाषण को लेकर चिंता जगती है जिसे उसको भोज के बाद देना है. उसमें भय जगता है कि भाषण में आए अकादमिक संदर्भों को लोग नहीं समझ पायेंगे. उसने रोबर्ट ब्राउनिंग के उद्धरण को हटा देने पर विचार किया, क्योंकि यह श्रोताओं के सिर के ऊपर से निकल सकता है. उसे लगा कि ऐसी पंक्तियाँ सुनाना ठीक नहीं जो उनके पल्ले न पड़े. ऐसे में वे सोचेंगे कि वह अपनी बेहतर शिक्षा का प्रदर्शन कर रहा है.
ऐसे में वह वैसे ही असफल होगा जैसे लिली के मामले में हुआ.
आगे पार्टी में सामूहिक नृत्य की तैयारी होती है और गेब्रियल की पार्टनर मिस मोली आइवर्स बनती है जो आयरिश राष्ट्रवादी है. वह उससे द डेली एक्सप्रेस में साप्ताहिक साहित्यिक स्तम्भ लिखने के बारे में पूछती है. यह आयरलैंड में ब्रिटिश शासन का समर्थन करने वाला रूढ़िवादी अखबार है. वह उसे वेस्ट ब्रिटेन कहकर चिढ़ाती है यानी कि एक ऐसा आयरिश व्यक्ति जो इंग्लैंड के प्रति निष्ठावान है. गेब्रियल को लगता है कि ऐसे आयोजन में लोगों के सामने उस पर आरोप मढ़ना बेहद अनुचित है. किन्तु वह उसे संतोषप्रद जवाब नहीं दे पाता.
मिस आइवर्स उसे गर्मियों में पश्चिमी आयरलैंड के एरन द्वीप समूह घूमने चलने के लिए निमंत्रण देती है जिसे वह ठुकरा देता है.
जब ग्रेटा उससे पूछती है कि मोली आइवर्स से क्या बात हो गई. वह बताता है कि वह उसे पश्चिमी आयरलैंड की यात्रा पर आमंत्रित कर रही थी और उसने मना कर दिया.
लेकिन ग्रेटा यह सुनकर बहुत खुश हुई और बोली कि वहाँ जरूर चलो, जहां उसे एक बार फिर गालवे में अपने बचपन के घर देखने को मिलेगा. तब गेब्रियल कहता है कि यदि वह चाहे तो वहाँ जा सकती है.
गेब्रियल को मोली आइवर्स की बात परेशान करती है. उसने निश्चय किया कि वह अपने भाषण में मिस आइवर्स की वर्तमान पीढ़ी से अपने मौसियों के पुरानी पीढ़ी की तुलना करेगा कि वर्तमान पीढ़ी अतिथि सत्कार, हास परिहास और मानवीयता में पुरानी पीढ़ी की तरह गंभीर नहीं है.
गेब्रियल को राहत मिलती है जब मोली आइवर्स भोज शुरू होने से पहले ही चली जाती है. भोज समाप्ति के बाद गेब्रियल अपने भाषण में पारंपरिक आयरिश आतिथ्य की प्रशंसा करते हुए कहता है कि हम एक संदेहपूर्ण विचार- पीड़ित युग में जी रहे हैं. वह केट और जूलिया आंटी और मेरी जेन को थ्री ग्रेसेस के रूप में वर्णित करता है.
पार्टी में आए अतिथि अब प्रस्थान करते हैं.
गेब्रियल देखता है कि सीढ़ियों के शीर्ष पायदान पर रेलिंग का सहारा लेकर ग्रेटा खड़ी है और कान लगाकर कुछ सुन रही है. ग्रेटा की मुद्रा स्थिर, सुगढ़ और रहस्यमय थी. उसे ऐसे देख कर उसके मन में ख्याल आता है कि यदि वह चित्रकार होता तो उसका चित्र बनाता और उसे दूरस्थ-संगीत का नाम देता. गीत पुराने आयरिश स्वरों में करुण सी लग रही थी :
मेरे गीले बालों पर बारिश पड़ती है
और ओस से मेरा गात गीला होता है
मेरा बच्चा शीत में कष्ट पाता है…
यह गीत कहानी में बहुत अर्थपूर्ण है. यह आगे की अप्रत्याशित बातों का संकेतक भी है.
कहानी का अंतिम हिस्सा होटल में घटित होता है. ग्रेटा अपने बच्चों के देखभाल की व्यवस्था घर पर करके आयी थी, और गेब्रियल ने रात्रि विश्राम के लिए होटल में इंतजाम किया था. क्योंकि पार्टी के बाद देर रात को घर के लिए जाना कठिन होता.
गेब्रियल होटल में ग्रेटा के संग अपने अंतरंग क्षणों का अनुभव करना चाहता था. वह भावावेश और कामेच्छा की तपन में ग्रेटा को अपने करीब खींच लेता है.
यह पूछने पर कि वह क्या सोच रही है, ग्रेटा फूट पड़ती है. वह बताती है कि वह गाना गालवे में सत्रह वर्षीय सुकुमार माइकल फ्यूरी गाता था. वह भी अपनी तब किशोरावस्था में उसके साथ घूमती फिरती थी. जब उसे वहाँ से डबलिन जाना पड़ा तो वह सर्दी की बारिश में कांपता बगीचे में खड़ा था. उसने उसे घर लौटने की मिन्नतें की लेकिन वह बोला कि वह जीना नहीं चाहता. एक हफ्ते के भीतर उसकी मृत्यु हो गई.
यह कहते वह सुबकने लगी. वह नींद में सो गई. वह भी उसके बगल में लेट गया.
गेब्रियल की आँखें नम थी. उसने खिड़की से देखा कि बर्फबारी फिर शुरू हो गई है बर्फ आयरलैंड में चारों ओर पड़ रही थी. उस एकांत क़ब्र पर भी जहां माइकल फ्यूरी दफ़न था. उसकी आत्मा चेतनाशून्य होने लगी. समूची सृष्टि पर बर्फ गिर रही थी. सबके ऊपर, जो जीवित थे उन पर भी और जो मर चुके थे उन पर भी.
रिचर्ड एलमान ने अपने एक महत्वपूर्ण आलोचनात्मक लेख में ‘द डेड’ कहानी को रचनाकार की जीवनी से मिला कर देखने का यत्न किया है. उनका कहना है कि कहानी में गेब्रियल वैसा ही है जैसा कि निजी जिंदगी में ज्वायस है, और ग्रेटा ज्वायस की पत्नी नोरा जैसी है. वास्तव में कहानी के सभी चरित्र वास्तविक जीवन से लिए हुए हैं.
आलोचकों में इस कहानी के अन्त से संबंधित दो मुख्य पहलुओं पर असहमति है: गेब्रियल की आत्मानुभूति के अर्थ पर, और बर्फ के संकेत पर. कुछ आलोचकों का कहना है कि गेब्रियल अब अपनी निष्क्रियता को पार करके आत्मकेंद्रित जीवन से भिन्न जीवन जीने की ओर अग्रसर हो सकता है. वहीं कुछ का विचार है कि गेब्रियल खुद को समझने में है, और ऐसा करके वह अपने आगे बढ़ने का मार्ग सुगम बना सकता है.
कई आलोचकों ने बर्फ को मृत्यु अथवा असमर्थता का प्रतीक माना है. वहीं कुछ इसे गेब्रियल द्वारा अपने आत्म सजगता से परे जाकर चीजों को अधिक करुणा से और अधिक समानुभूति से देखने का संकेत बताया है.
कुछ आलोचक यह मानते हैं कि बर्फ काफी अस्पष्ट प्रतीक है. उनके विचार में सामान्यतः बर्फ को मृत्यु का और जल को जीवन का संकेत माना गया है. इसलिए बर्फ जीवन में मृत्यु अथवा मृत्यु में जीवन को दर्शाता है.
जेम्स ज्वायस को आधुनिकतावादी कहानी के प्रवर्तकों में गिना जाता है. जैसा कि हम जानते हैं कि कहानी आख्यानात्मक चाप (नैरेटिव आर्क) के रूप में होती है- प्रारंभ, बढ़ती कार्यवाही, चरमोत्कर्ष और परिणाम. ज्वायस की कहानियों में भी कुछ ये विशेषताएँ हैं. किन्तु इस कहानी का चाप मनोवैज्ञानिक है. इसे हम अन्तरावलोकन की कला के रूप में देख सकते हैं.
‘द डेड’ कहानी में हमारा परिचय एक मुख्य पात्र से होता है, वह गेब्रियल है. उसके स्वयं के बारे में उसके विचारों से हमें उसका परिचय मिलता है. और फिर जैसे-जैसे हम कहानी में मनोवैज्ञानिक चरमोत्कर्ष तक पहुंचते हैं वैसे- वैसे उसके अनुभव हमारे सम्मुख प्रकट होते हैं. चरमोत्कर्ष पर यह पात्र हमारे सामने खुलता है. हम लक्षणालंकार के सामान्यीकरण से उसकी जटिलता और सीमाओं को देखते हैं.
यह मनोवैज्ञानिक प्रश्न किसी भी कहानी के लिए है कि वह अपनी दुनिया में पाठकों को कैसे आमंत्रित करती है. ज्वायस इसके लिए संकेतों का आश्रय लेते हैं और पाठकों को सोचने के लिए आमंत्रित करते हैं.
जब कहानी प्रारंभ होती है तब हम मिस केट और मिस जूलिया को सुनते हैं. किन्तु हमें यह नहीं पता होता है कि इनकी कल्पना कैसे की जाए. क्या वे युवा हैं, कि बुजुर्ग हैं, वे बहनें हैं कि सहेलियाँ हैं ? ज्वायस हमें शुरू में कुछ अचरज में रखते हैं.
कहानी में गेब्रियल का उल्लेख तीसरे परिच्छेद में हुआ है. बाद में चलकर पता चलता है कि गेब्रियल कौन है और वह कैसा दिखता है.
जब ज्वायस पाठकों को कहानी में उतरने के लिए आमंत्रित करते हैं तो गेब्रियल को समझने की राह सुगम बनाते हैं. एडवर्ड रोइजमैन और पाल रोजिन का मानना है कि जब आप किसी को भलीभांति नहीं जानते हैं तब यदि वह कठिनाई में घिरता है तो आसानी से उसे आपकी सहानुभूति मिलती है.
कहानी के प्रारंभ में हम गेब्रियल को नहीं जानते हैं. उसका पहला मुठभेड़ लिली से होता है. वह उसके साथ प्रसन्नता से बात करता है कि क्या वह जल्द ही विवाह करने वाली है. किन्तु वह उसकी इस बात पर मुंहतोड जवाब देती है. लिली के साथ उसे तत्काल कठिनाई होती है. उसे लगता है कि उससे कुछ गलती हो गई है. वह अपने मफलर से अपने जूते को पोंछता है, फिर वह लिली को क्रिसमस का उपहार बता कर एक सिक्का देकर सीढियाँ चढ़ता है.
यहाँ कहानी हम पाठकों को घटना पर विचार करने के लिए आमंत्रित नहीं करती, बल्कि गेब्रियल की प्रतिक्रिया पर विचार करने को उकसाती है कि वह मफलर से अपने जूते साफ क्यों करता है. हमें उसके साथ सहानुभूति होती है और हम उसके दिमाग में प्रवेश करते हैं. हमारी उलझन के साथ रचनाकार भी चलता है. वह कहता है कि गेब्रियल लिली के कड़वाहट भरे अप्रत्याशित उत्तर से अप्रतिभ हो गया था. इस बात ने उसे विषाद से भर दिया जिसे दूर करने के लिए वह अपनी आस्तीनों को ठीक करने लगा. ज्वायस यहाँ एक सामान्यीकरण भी प्रस्तुत करते हैं. गेब्रियल चिंतित है कि वह जैसे लिली के साथ विफल हुआ, वैसे कहीं अपने उस भाषण में भी विफल न हो जाए जिसमें उसे अपनी आंटियों और भतीजी को कृतज्ञता ज्ञापित करना है.
कहानी में बहुत-सी ऐसी बातें आती हैं जिनसे पाठकों को गेब्रियल को समझने में मदद मिलती है. उदाहरण के लिए गेब्रियल की मां का उल्लेख आता है कि वह ग्रेटा के साथ उसकी शादी के खिलाफ है. इसी तरह हमें बताया जाता है कि उसे किताबों से प्यार है. ये बातें कहानी के कथानक से संबंधित नहीं हैं, लेकिन गेब्रियल को समझने में इन छोटी-छोटी बातों का भी योगदान है.
कहानी में अन्य बातों से ज्यादा चरित्र का महत्व अधिक होता है. यदि आप कहानी के कम से कम एक चरित्र से नहीं जुड़ते हैं तो आप कहानी के साथ पूरी यात्रा नहीं करेंगे.
मनुष्य का मस्तिष्क अन्य पशुओं से बड़ा हुआ. क्योंकि हम बहुत चतुर थे, क्योंकि हम औजार बना सकते थे, क्योंकि हम शिकार करने में शातिर थे. किन्तु वास्तविक कारण यह है कि हम अन्य पशुओं से सर्वाधिक सामाजिक प्राणी हैं. अन्वेषकों का कहना है कि हमें बड़े मस्तिष्क इसलिए चाहिए था कि हम अपनी सामाजिक दुनिया में बड़ी संख्या में लोगों को जानते हैं. डेढ़ सौ तक. हमारे निकटतम पशु संबंधी चिंपाजी है जो पचास के सामाजिक समूह में रहता है. इसका अर्थ हुआ कि समूह में पचास सदस्यों को वैयक्तिक रूप से वह जानता है मित्र, सहयोगी, शत्रु के रूप में.
मनोवैज्ञानिक कहते हैं कि मनुष्य बहुपरतीय मानसिक प्रतिरूप को गढ़ सकता है और उसे बनाए रख सकता है. दार्शनिक इसे साभिप्राय दशा कहते हैं.
साभिप्राय दशा वह मानसिक दशा है जिससे हम कुछ देख सकते हैं, कुछ विश्वास कर सकते हैं, कुछ चाह सकते हैं, कुछ महसूस कर सकते हैं.
जब जेम्स ज्वायस हमें अपनी कहानी में आमंत्रित करते हैं तो वे हमारे दिमाग को इसमें उतारने के लिए आमंत्रित करते हैं.
पार्टी में मिस आइवर्स आती हैं. वह और गेब्रियल दोनों एक ही विश्वविद्यालय में हैं. वह पूछती है कि वह वही जी.सी. तो नहीं जिसकी डेली एक्सप्रेस में छपी पुस्तक समीक्षा उसने पढ़ी है. गेब्रियल हाँ कहता है. डेली एक्सप्रेस आयरलैंड में ब्रिटिश हुकूमत का समर्थन करता है, जबकि मिस आइवर्स आयरिश आजादी के लिए प्रतिबद्ध है.
उसकी बात को अन्य लोग भी सुनते हैं. वह कहती है कि उसे बहुत निराशा हुई कि गेब्रियल पछांही अंग्रेज है.
गेब्रियल को लगता है कि पुस्तक समीक्षा लिखने का राजनीति से कोई संबंध नहीं है. लेकिन वह अपनी बात ढंग से नहीं कह पाता है. फिर जब दोनों सामूहिक नृत्य में साथ नृत्य करते हैं तो गेब्रियल अपने हाथों पर उसके हाथों का दबाव महसूस करता है. वह गेब्रियल के कान में फुसफुसाते उसे पछांही अंग्रेज कहती है. यहाँ ज्वायस का मंतव्य है कि पाठक इस पर विचार करें कि गेब्रियल क्या सोचता है, मिस आइवर्स क्या चाहती है, गेब्रियल क्या महसूस करता है जब सवालिया निगाहों से वह उसे भौंहों के नीचे से देखती है और उसके कान में फुसफुसाती है.
ज्वायस ने बताया है कि गेब्रियल खुद को आहत महसूस करता है क्योंकि उसके विचार में मिस आइवर्स उसे लोगों की निगाह में नीचा दिखाना चाहती है.
किन्तु यहाँ हम पाठकों को ऐसा भी लग सकता है कि वह गेब्रियल के पुस्तक समीक्षा लेखन से ईर्ष्या करती है अथवा वह उसे मैत्री भाव से चिढ़ाती है.
हममें यह विचार करने की क्षमता है कि अन्य लोग क्या विचार कर सकते हैं और महसूस कर सकते हैं. हमारे मस्तिष्क की ऐसी क्षमता है जो ऐसा करने में हम आनंदित होते हैं. कहानियों को पढ़ने के पीछे यही सिद्धांत काम करता है.
सामान्यतया हम यह मान लेते हैं कि दूसरों को जानने पर हम उसके करीब आ जाते हैं. जबकि कहानी में हम देखते हैं कि गेब्रियल हर मामले में जितना वह लोगों से जुड़ना चाहता है उतना ही वह उससे दूर होता है.
गेब्रियल ने लिली से प्रसन्नता से बात की और वह चाहता था कि वह उसे भद्र आदमी के रूप में देखे. किन्तु उसने उसे अजीब आदमी के रूप में देखा जो सिर्फ वासनात्मक विचार करता है. वह चाहता है कि मिस आइवर्स उसके अखबार में पुस्तक समीक्षा लिखने की सराहना करेगी, इसके बजाय वह उसे गलत राजनीतिक पक्ष की तरफ देखती है.
जब गेब्रियल ग्रेटा के प्रति खुद को पूरी तरह से मोहित और आतुर महसूस करता है, तब पाठक के लिए ऐसा सोचना बड़ा कठिन है कि उसके अंतरंग जीवन में कुछ अप्रत्याशित होने वाला है. गेब्रियल ग्रेटा को भिन्न दुनिया में पाता है. एक सत्रह साल का लड़का- जैसा कि वह अनुमान करती है- उसके लिए प्राण दे देता है. उसे ऐसी पत्नी चाहिए जो सिर्फ उसे प्यार करती हो. जबकि ऐसा नहीं है.
पाठकों को यहाँ लगता है कि क्या गेब्रियल के लिए क्या यह अच्छा नहीं होता कि वह इस बात को नहीं जानता तो उनके अंतरंग संबंधों में भ्रम बना रहता.
गेब्रियल के साथ घटित ये बातें पाठकों को परेशान करने वाली लगती है. वह जानने के कारण ही जितना जुड़ने की कोशिश करता है उतना ही वह हर समय अलग-थलग पड़ता है. जिस अनुभवों से गेब्रियल गुजरता है, उसे लेकर हम महसूस करते हैं कि ऐसा नहीं हो.
हम अन्य व्यक्ति को समझने में उसमें अपने ज्ञान को प्रक्षेपित करते हैं. फिर कुछ भिन्नताओं को जो उम्र, जेंडर और शिक्षा से संबंधित होती है उसे लेकर संशोधन भी करते हैं. किन्तु हम प्रेक्षेपण बहुत अधिक करते हैं जबकि संशोधन बहुत कम. हम मान लेते हैं कि दूसरे व्यक्ति हमारे जैसे ही होते हैं.
यह मामला व्यक्तियों के विश्वास का नहीं है बल्कि उनकी भावनाओं का है. हम यह मान लेते हैं कि जब हम अपने साथी से यह कहते हैं कि मैं तुम्हें प्यार करता हूँ, और जब वह कहती है कि मैं तुम्हें प्यार करती हूँ, तो इसका आशय समान है.
गेब्रियल और हम सबके लिए इसके क्या मायने हैं? किसी को जानने में हमें यह भी समझना चाहिए कि उसका अनुभव हमसे बिल्कुल भिन्न भी हो सकता है. गेब्रियल को यह आत्मानुभूति होती है कि जिस व्यक्ति को वह निकटतम महसूस करता है उसका अनुभव उसके खुद के अनुभवों से कितना अलग हो सकता है. गेब्रियल को यह आत्मानुभूति उसे उस छोर पर लाती है जहाँ उसे यह महसूस होता है कि मनुष्यों के बीच समानता वाली बात सिर्फ अंतिम परिणाम है धीरे-धीरे मृत्यु की तरफ जाना.
होरेस का कहना है कि साहित्य हमें सीख और आनंद दोनों प्रदान करता है. क्या वह सही है ? ज्वायस की ‘द डेड’ कहानी कोई सीख नहीं देती. यह कहानी आनंदित करने वाली भी नहीं है. यह परोक्ष रूप से अंतःकरण तक संप्रेषित होती है कि प्रत्येक व्यक्ति में कुछ भिन्नता होती है. उसमें उस तरह से बदलाव नहीं आता जैसा वह चाहता है, उसमें बदलाव उस तरह से होता है जैसी उसकी काबिलीयत होती है.
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संदर्भ
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मर चुके लोग (The Dead), जेम्स ज्वायस, शिवकिशोर तिवारी (अनुवादक), समालोचन वेब पत्रिका.
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प्रमोद कुमार शाह दर्शन, अर्थशास्त्र, इतिहास और साहित्य में अभिरुचि. बुद्ध पर एक पुस्तक प्रकाशित. प्रोफेसर और प्राचार्य पद से सेवानिवृत्त |
समालोचन में विविध विषयों पर पढ़कर कितना जानने समझने को मिलता है । अरुण जी आभार आपका ।
जेम्स जॉयस के इस काम की चर्चा रही है. विस्तृत और नये आयामों पर, इस पर, यह आलेख मेहनत से लिखा गया है. बधाई.
जेम्स ज्वायस पर यह शानदार लेख है