जंग के वक़्त में होनाइतल अदनान |
न कुछ कहना, न करना, वक़्त देखते रहना,मुड़ जाना, सीधे होना, ख़ुद को ज़िम्मेदार बताना, खड़े होना,
खिड़की के पास जाना
इस प्रक्रिया में अपना सोच बदलना, अपनी कुर्सी पर लौटना, फिर से खड़े होना, बाथरूम चले जाना, दरवाज़ा बंद करना, फिर दरवाज़ा खोलना, रसोई तक जाना, न कुछ खाना न पीना, लौट आना
मेज़ तक, ऊबना, कुछ कदम दरीचे पर रखना, चिमनी के पास जाना, उसे देखना,
उसे बोझिल पाना, बायें मुड़कर मुख्य द्वार तक जाना, कमरे में वापस लौटना, थोड़ा झिझकना, आगे बढ़ना, थोड़ा सा, फिर तनिक सा रुकना,
परदे के दायें छोर को खींचना, फिर दूसरे सिरे को, दीवार को गौर से देखना
२
घड़ी को देखना हथेली की, फिर दीवार की, फिर अलार्म क्लॉक,
टिक-टिक को सुनना, सोचना उसे फिर से देखने के बारे में,
नल के पास तक जाना, फ्रिज को खोलना, बंद करना, दरवाज़ा खोलना, ठंड को महसूस करना, दरवाज़ा बंद करना,
भूख को महसूस करना, इंतज़ार करना, रात के खाने के वक़्त का इंतज़ार करना, रसोईघर तक जाना, फिर से फ्रिज को खोलना, चीज़ बाहर निकालना, दराज़ खोलना, चाकू निकालना, चीज़ को लेकर भोजन-कक्ष तक आना, प्लेट को टेबल पर रखना, एक आदमी के लिए मेज़ सजाना, बैठ जाना, चीज़ को चार टुकड़ों में काटना, एक कौर खाना, चीज़ को मुंह में डालना, चबाना और निगलना, निगलना भूल जाना, खुले आँख सपना देखना, फिर से चबाना, रसोईघर तक वापस जाना, अपना मुंह पोंछना, अपने हाथ धोना, उन्हें सुखाना, चीज़ को वापस फ्रिज में रखना, वह दरवाज़ा बंद करना, और दिन को हो जाने देना
3
रेडियो सुनना, बंद कर देना, थोड़ा चलना, थोड़ा सोचना
सोचना छोड़ देने के बारे में, चाबी ढूँढना, विस्मय करना, कुछ नहीं करना
वक़्त के बीतने पर अफ़सोस करना, समाधान पाना, समुद्र तट पर जाने की इच्छा करना
कि सूरज डूब रहा है, ये बता पाना, जल्दी करना, चाबी के साथ नीचे उतरना
कार का दरवाज़ा खोलना, बैठना, दरवाज़ा बंद करना
चाबी डालना, चालू करना, इंजन को गर्म करना, सुनना, तसल्ली करना कि
कोई आसपास नहीं है, पीछे करना, फिर आगे निकल जाना, दाहिने मुड़ना, बायें मुड़ना, फिर
सीधे चलते जाना, सड़क के साथ साथ, कई किनारों को छूते हुए
गाड़ी सीधे तट तक ले जाना, महासागर को देखना, उसे सराहना,
आनंदित होना, पहाड़ी पर चढ़ना, उसकी दूसरी तरफ़ जाना, फिर सीधे जाना,
फिर रुकना, तसल्ली करना कि महासागर कहीं ग़ायब नहीं हुआ है
ख़ुशक़िस्मत समझना, इंजन बंद करना, दरवाज़ा खोलना, बाहर आना,
दरवाज़ा बंद करना, सीधे सामने देखना, बयार को सराहना
लहरों की तरफ़ आगे बढ़ना
4
उठना, अंगड़ाई लेना, बिस्तर से बाहर आना, कपड़े पहनना, डगमगाते हुए
खिड़की की तरफ़ जाना, बगीचे की ख़ूबसूरती को देख खुश होना, रौशनी की गुणवत्ता पर गौर करना
गुलाबों को हाइसिंथ से फ़र्क़ कर पाना, कि रात में बारिश हुई थी ये सवाल करना, पहाड़ को देखना
देखना उसके रंग को, देखना कि बादल हिल रहे हैं, रुकना
रसोई जाकर थोड़ी कॉफी पीसना, गैस चूल्हा जलाना, पानी गर्म करना,
उसे खौलते हुए सुनना, कॉफी बनाना, गैस बंद करना, कॉफी उड़ेलना,
उसे दूध के साथ पीने का फ़ैसला करना, उसकी बोतल निकालना, एल्यूमिनियम के बरतन में
दूध डालना, उसे गरम करना, ख़्याल रखना, उड़ेलना, कॉफी में दूध को मिलाना,
उसकी उष्मा को महसूस करना, प्याले को होंठ तक लाना, घूँट लेना, एक और घूँट लेना,
दिन के कामों पर नज़र डालना, खड़े होना और रसोई तक जाना,
वापस आना और रेडियो को चालू करना,
उसकी आवाज़ बढ़ाना, ये सुनना कि इराक़ के ख़िलाफ़ जंग छिड़ गई है.
5
बेसब्र होना और होते जाना, भूखा होना, अपने नाखून चबाने लगना
जैकेट पहनना, दरवाज़ा खोलना, पहाड़ी से नीचे उतरना,
खाड़ी को देखना, नावों को देखना, एक बड़ी पाल नौका पर गौर करना,
पैदल चलते जाना, साँस फूलना, बायें मुड़ना, फिर दायें, सुशी रैन के भीतर जाना
इंतज़ार करना, वेट्रेस की तरफ़ देखना, उसे बुलाना, अपनी कुहनियों को मेज़ पर टिकाना, जब चाय आये तो हटा लेना, ऑर्डर देना, खाना, पीना, चॉपस्टिक इस्तेमाल करना, निपटाना
अपने मुंह को नैपकिन से पोंछना, बिल को पढ़ना, गिनना, पैसे देना, विनम्रता से शुक्रिया कहना, बाहर जाना, चढ़ाई वाली सड़क पर बढ़ जाना
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तड़के उठना, हड़बड़ी में बाहर जाना, अख़बार को ढूँढना, पीले झोले में से उसे बाहर निकालना
पहले पन्ने पर बड़े अक्षरों में जंग पढ़ना, देखना कि जंग शीर्षक ने ही आधा पन्ना घेर लिया है,
अपनी रीढ़ में कंपकंपी उतरते महसूस करना, ये बताना कि बस यही तो है,
ये जानना कि उन्होंने हिम्मत की है, कि वे हद पार कर गये,
ये पढ़ना कि बग़दाद पर बम गिराये जा रहे हैं, आग की बारिश की कल्पना करना,
शोर को सुनना, दिल का टूट जाना, पेड़ों को घूरना, पढ़ते हुए धीमे चलना,
पहले पन्ने पर वापस आना, जंग के अक्षरों को फिर से पढ़ना
उस शब्द को ऐसे देखना जैसे वह एक मकड़ा हो, जड़ महसूस करना,
अपने भीतर ही मदद टटोलना, बेबसी को जानना,
फ़ोन उठाना, फिर रख देना, कपड़े पहनना, खिड़कियों से बाहर देखना,
दिन की खूबसूरती की तकलीफ़ सहना,
ऐसे गुनाहों को लिखने वालों से मौत माँगने वाली नफ़रत करना,
ये समझना कि सोचना बेकार है,
अपना बटुआ उठाना, सीढ़ियों से नीचे उतरना,
देखना हमलों से लोगों का मलीदा बना दिया गया है, कहना कि हाँ
दिन सच में खूबसूरत है, कुछ भी नहीं जानना, पैदल चलते जाना,
ग़ौर करना किस उदासीनता से लोग एक दूसरे को देख रहे हैं.
7
खाना खाना. बीयर के लिए पूछना. ऑर्डर देना. पीना, खाना, पैसे चुकाना.
चले जाना. घर पहुँचना. चाबी टटोलना. भीतर जाना.
इंतज़ार करना. जंग के बारे में सोचना. घड़ी पर नज़र डालना. ख़बरें लगाना. फ़ौजी रिपोर्टरों की बातों से रिसते ज़हर को सुनना. सिर दर्द होने लगना. सूखे बिस्कुट खाना.
रेडियो फिर चालू करना. बग़दाद में बमों का गिरते सुनना. एम्बुलेंस की आवाज़ें सुनना. बाहर डेक पर चले जाना. घास की छाया को लम्बे होते हुए देखना. चौखट पर मरी हुई मक्खियों को गिनना.
मेज़ पर जाना और डाक को देखना. हौसले पस्त होते महसूस करना. थोड़ा पानी पीना. हवा को न समझ पाना. कि मनुष्यता भसड़ में नहीं है, सवाल करना. पूरे ग्रह को उड़ाने की इच्छा करना.
उनकी वाह वाह करना जो जंग के ख़िलाफ़ सड़क पर उतरे हैं.
8
जंग को बहुत दूर से सुनना. दूसरे के लिए बम गिराना, एक देश को मिटाना, एक सभ्यता को उड़ा देना, ज़िदों को तबाह कर देना. एक विचार से बाहर निकलकर दूसरे के भीतर जाना. जाना. गोल्डन गेट को पार करना. सन फ़्रांसिस्को के भीतर जाना. बत्तियों पर रुक जाना. हरी बत्ती की रौशनी के मज़े लेना. बाज़ार की गली में होना. बहुत सारे पुलिस वालों को देखना. बहादुरी के साथ चलते जाना. जुलूस के सिरे पर नौजवानों को गिरफ्तार होते देखना. हवा में तनाव को ताड़ने की कोशिश करना. वेलेंसिया को ढूँढना. कनेक्टिकट स्ट्रीट तक की दूरी नाप आना और कार खड़ी करना. सीसीएसी के द्वार में प्रवेश करना. उस कमरे में बैठना, जो अंधेरा है. एक कवि को सुनना, फिर दूसरे को, उस वक़्त के बारे में जो जा चुका है.
9
पेट्रोल पम्प पर रुकना और टंकी भरना. माउंट टैमलपाइस पर ख़त्म होने वाली चढ़ाई पर जाना. सुस्ताना, साँस लेना, सोचना. एक रास्ता पाना और गीली ज़मीन पर चलना. पहाड़ी पर हरे रंग के बहुत सारे शेड्स में खुश होना. अपनी आँख ऊपर उठाकर आसमान को देखना और फिर क्षितिज तक ले जाना और स्लेटी रंगों की तुलना करना.
बादलों से बातचीत की कोशिश करना. ये कहना कि हाँ, यह नामुमकिन है. संवाद की रहस्य पर ठिठकना, उसकी अनुपस्थिति पर शोक करना. ये कहना कि सब ठीक है और फिर खुद पर यक़ीन नहीं करना. सुबह की ख़बरों के बारे में सोचना और दहशत से भर जाना. हिक़ारत से भर जाना. नफ़रत करना. बहुत से तैरते भावों से दिमाग़ को ख़ाली करना. कि दुष्टताएं हैं, उस पर अफ़सोस करना. दुष्टताओं के अस्तित्व पर ख़ुद को दोषी ठहराना. उस सबको भूल जाने की कोशिश करना और ऐसा न कर पाना. ख़ुद को मौत से लपेट लेना.
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पन्ना पलटना बिना एक नई ज़िंदगी में प्रवेश किये. रेडियो चालू करना. बहुत सारे ज़हर का सामना करते हुए सुनना और ग्रहण करना. नरक, प्रलय, आग, समय को कोसना. सब्र को खो देना. दुर्भाग्य को मौत के घाट उतारना.
भीतरी हार की तरंग को केन्द्र तक पहुँचने से रोकना.
लड़ना. खड़े होना. आवाज़ ऊँची करना. ये जानना कि जंग के ख़िलाफ़ निकल रहे जुलूस संख्या में बढ़ रहे हैं. ये मानना कि मानवीय प्रकृति कई चेहरे वाली है. ये जानना कि जंग हर जगह है.
ये मानना कि कुछ जीत भी जाते हैं. थोड़ा पानी पीना. घेरे में घूमना. दिखावा करना कि अभी सब ख़त्म नहीं हुआ हैं. इस पर यक़ीन करना. दिखावा करना. दिल की बातों के साथ चर्चा करना. उससे बात करना. उसे शांत करना, अगर हो सका तो.
कोसना उन नये धर्मयुद्धों की क्रूरताओं को, जो टैक्नोलॉजी की ताक़त पर चल रहे हैं.
शंकाओं में मौजूद रहना. और विजयी होकर उनसे बाहर आना.
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इतवार के अख़बार के लिए दौड़ना. “निशाना: बगदाद” पढ़ना. रेडियो पर वापस जाना, अमेरिकी असंतुष्टों के बारे में सुनना. सुनना कि काले भारी संख्या में जंग के ख़िलाफ़ है, कि इराक़ी विरोध कर रहे हैं. थोड़ी सफ़ाई करना. अंदरूनी ग़ुस्से के साथ निपटना. दुष्टताओं के सुबूतों को स्वीकार करना, दर्द के अस्तित्व को मानना. अपनी ऊर्जा के स्रोत को अपने भीतर पाने की क्षमता का न होना. जो विरोध कर रहे हैं, उनके प्रति कृतज्ञ होना हालाँकि जानते हुए कि वे अपने नैतिक बोध से चल रहे हैं. ख़तरे उठाना, जो वे करते हैं. ये सोचना कि अरब राज्य ख़ासे ढुलमुल है, इतना तो कहा जा सकता है. रेडियो का नाक़ाबिले बर्दाश्त हो जाना.
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प्रतिक्रिया और बदले का इंतज़ार करना. प्यास के बाद गर्मी और फिर सर्द महसूस करना. दुष्टता का कहना, शरीर पर चढ़ाई करने के लिए. दुष्टता के बारे में बात करना. एक फ़ोन कॉल करना. ये न बताना जो सोचा जा रहा है. जो पता है उसके बारे में नहीं सोचना. लाइन काट देना. करेक्टॉल की बोतल निकालना और स्मृतियों को मिटाने लगना. भूख न लगना, फिर भी खाना. दूसरी इच्छाओं को खाने से पूरा करना. घिन से भर जाना. दोनों तरफ़ की लाशों को गिनना. रेडियो के पास लौटना ख़ुद को बधाई देते हुए कि टीवी सेट नहीं रखता. सुनना रेडियो पर मिस्र, तुर्की, जॉर्डन, सीरिया और इराक़ी रिपोर्टरों को. गहरी थकान महसूस करना.
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रौशनी को सराहना, बसंत को दुआ देना. कचरा भर कर नीचे ले जाना, ढक्कन बंद करना. ऊपर जाते वक़्त ब्लूबेल्स को देखना, वरबीना और सेज को सूंघना. लिविंग रूम में पहुँचकर चुप्पी को सुनना और तौलना. तबाही की तकलीफ़ में होना. कुछ नहीं करना. उस इतिहास के बारे में सोचना, फिर सोच को ख़ारिज करना. कुछ किताबों को शैल्फ में क़रीने से लगाना, कुछ को उठा कर फेंक देना. एक पत्रिका को उठाना और टोकरी में वापस फेंक देना. पारमेनाइड्स के भूले जा चुके अनुवाद को पाना. कुछ वाक्य पढ़ना और पाना उसकी बेसब्री को. बाद में पढ़ने का इरादा बनाना, पर इस पल कुछ भी “बाद में” नहीं है. वर्तमान के समय को सिर्फ़ सीसा समझना.
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चीजों को क़रीने से लगाना. 1975 की एक डायरी को पाना. कहीं से भी पढ़ने लगना. “दमिश्क से वापसी.” आगे पढ़ना:” इतवार 12. मवाकेफ मीटिंग.” नोटबुक को मेज़ पर रख छोड़ना. रेडियो पर केपीएफए को लगाना. ख़बरों को एक कड़वे द्रव्य की तरह सोखना. दहशत पैदा करना, यह जंग है. क्रूरता, विजय में लोटना. जलाना. मार डालना. प्रताड़ित करना. बेइज्जत करना: यह जंग है बारम्बार. लोहे के घेरे को तोड़ने की कोशिश करना. कमसकम शहर तक जाना और कैलेडोनिया में पार्क करना. पानी के साथ साथ वालहला तक चलते चले जाना. अविश्वसनीयता के साथ अपनी आँखों से एक बेइंतहा खूबसूरत नाव के पाल को देखना. उसे काले ढाँचे को देखना और उसकी बारीकी को. ये मानना कि कोई कुछ नहीं कर सकता.
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अफ़ग़ानिस्तान के ऊपर एक फ़ौजी जहाज़ को गिरा देना. सूरज का स्वागत करना. पौधों को पानी देना. पाइप को वापस मोड़ना. उसे फिर से खोलना. पानी देते रहना. पाइप को दीवार की बग़ल में रख देना. छायाओं को अपनी जगह से हिलाना, ख़ुद को हिलाते हुए. टाइपराइटर के पास लौटना. उसके रिबन के बारे में परेशान होना, सोचना कि क्या उसकी जगह नया लगाने का वक़्त आ गया है. शरबत पीने की इच्छा को क़ाबू करना.
तकलीफ़ में साँस लेना. अपने ग़ुस्से को धीमा रखना, अपनी परेशानियों को बहने देना. जूते उतारना और दूसरे पहनना और इस नतीजे पर खुश होना. ये देखना कि वक़्त क्या हुआ है. दवात का ढक्कन खोलना. उसके लेबल पर मों ब्लां पढ़ना. डरना कि कहीं स्याही भाप न हो जाए. सावधानी के साथ दवात को बंद करना. घड़ी पर नज़र डालना और ये अहसास कि ये (बुरी) ख़बरों का वक़्त है. उसका सामना करना.
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कैलेंडर में पढ़ना कि लिन किरबी लंच पर आ रही है. इराक़ में ब्रिटिश और अमेरिकियों के हाथों हुए अत्याचारों के बारे में बात करने के लिए. उससे सुनने कि जंग अत्याचार ही होती है. अंतरिक्षयात्रियों और अंतरिक्ष के बारे में बात करना. साथ में कुछ काम करने की संभावना पर बात करना. मेज़ पर भुने हुए गोमांस और सलाद को लेकर आना. सलाद को मिलाना. पहाड़ी की तरफ़ देखना. बाद में पहाड़ी के ऊपर रात को ढलते हुए देखना. रात भर पहाड़ी की मौजूदगी का अंदाज़ा लगाना. प्यार को हामी भरना, ख़ाली जगह के आरपार देखना, उसकी गहराई नापना. ये सोचना कि कुछ लोगों के लिए जैविक भोजन की इजाज़त है, जबकि बाक़ी भूख से मर रहे हैं. इराक़ की जंग की कल्पना करना. बहुत क़रीब से जानना कि आक्रमणकारी फ़ौजी किस उज्जड़ तरीक़े से खाना खाते हैं. नफ़रत से मर न जाएँ कहीं, ये कोशिश करना. अपना सर अपने हाथों के बीच थाम लेना. दबाना. अपनी आँखें बंद करना. साँस लेने में तकलीफ़ का होना.
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बग़दाद को बरबादी इस वक़्त का रिवाज है. जंग की आवाज़ों को सुनना. बसन्त के रंगीन सौंदर्य से सन्न रह जाना. डॉ.विनो में कॉफी. कार की तरफ़ एक चलती फिरती कंकाल जैसी औरत को ले जाए जाते देख हिल जाना और पसीने पसीने हो जाना. रियल फ़ूड स्टोर से मक्के की डबलरोटी ख़रीदना. भूख के बारे में सोचते हुए अफ़सोस से भर जाना. वापस आ जाना. बगीचे के अप्रतिम सौंदर्य को सराहना. ऊपर जाकर डबलरोटी को रखना. रेडियो चालू कर देना. पाना कि सरकारी पाखंड हमेशा चल नहीं पायेगा. दुहराना कि वे जंग के गुनहगार हैं. थकान को सीसे की तरह पूरे जिस्म में उतरते हुए महसूस करना. बेचैनी महसूस करना. जानना कि जंग अपने आपमें पूरी होती है. फिर भी यक़ीन करना कि दुश्मन की हैवानी साज़िशों से भविष्य बच निकलेगा.
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उनकी आँखों में से रोशनी को बुझा देना, जो दुनिया से प्यार करते हैं, ख़ुद ज़िंदगी को ख़तरे में डालना, मौत को थोपना, यह जंग है. यूफ्रेट्स में खून उड़ेलना और टाइग्रिस के किनारे रहने वालों को मार डालना. एक पहाड़ी को हिला देना. एक खुले बाज़ार को मिटा देना. नामुमकिन कर देना शादी करना, सोना, बसरा में सुबह उठ पाना, जबकि वे मैक्सिको में ऐसा कर सकते हैं. अरब नियति से छेड़छाड़ करना. तिकड़मों के बीच उनकी मौत, की उम्मीद करना, प्राचीन भगवानों से प्रार्थना करना. अतीत को लेकर बेचैन न होना. भूलना नहीं. ये यक़ीन पक्का रखना कि किसी दिन ज़रूर, पता नहीं किस, इंसाफ़ होकर रखेगा. ये जानना कि दुनिया उसे बेवकूफ बनाने का बदला लेगी. इस बात का जानकार बने रहना कि रहस्य और तिलिस्म होते हैं.
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रेगिस्तानों के सपने देखना, नागफनियों और दूसरे जहर बुझे पौधों को गिनना.
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भव्य सूरजों की इच्छा करना. एक बाँह ऊपर उठाना, फिर दूसरी. लगातार चल रही ख़बरों को देखते सुनते रहना और उदासी के एक असहनीय तल तक पहुँच जाना. ये दिखावा करना कि ठीक हैं क्योंकि पेट में अभी भी भूख है. नहीं खाना या वक़्त का ख़्याल रखना. नोटबुक को उठाना, शैल्फ में वापस रखना. इस जानकारी के साथ जीना कि अमेरिकी, अंग्रेज, उनके साथी चाहते हैं कि इराक़ के लोग, उनके बच्चे, उनके मर्द तबाह कर दिये जाएँ. जो चल रहा है उसकी तुलना करना उसके साथ जो हमेशा से चलता रहा है. तिनके पर टिके रहना. बेख़ुदी में होना. डेक पर दौड़ना और खड़े रहना अंधेरे में. आसमान के नक़्शे को पढ़ना. सितारों की पहचान करना.
एटलस की सात बेटियों (प्लेडियस) को पहचानना. बेबीलोन को याद करना. अपने दिल पर कालिख पोतना. भीतर आना, कमरे को बंद करना. हलके से भी शोर का इंतज़ार करना. एक लम्बे दिन को ख़त्म करना. सोने चला जाना.
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ऐसे करना जैसे कोई फ़र्क़ पड़ता हो. शांत, विनम्र दिखना, जब ग़ाज़ा क़ब्ज़े पर हो, जब फिलीस्तीनियों को एक काला ज्वार धीरे से निगल रहा हो. ग़ुस्से में कैसे न मर जाएँ? स्क्रीन पर पहले विश्व युद्ध को विस्तार से देखना, फिर दूसरे विश्व युद्ध को, तीसरे की अपेक्षा के साथ. भोले लोगों को डरा देना, दहशत फैलाने का जैसा इज़राइली तरीक़ा है. एक फ़ोन कॉल पेरिस करना. वालिद से कहना हाल ठीकठाक हैं. झूठ बोलना. ये मानना कि मौसम बहुत ख़ूबसूरती के साथ अनिश्चित है. यकायक गर्म हो रहे बसंत के प्रति उदासीन हो जाना. ये चुनना कि कौन सी क़मीज़ पहनी जाए. दरवाज़े पर पड़े हुए इतवार के अख़बार की सारी शंकाओं से अपने दिमाग़ को भर लेना.
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जंग के खून के साथ वाणिज्य की बदबू मिलाता हुआ बहुत सारा कूड़ा पढ़ना. हर ख़ुशी को जड़ से उखाड़ फेंकना. बाहर जाना, नीचे उतरना और फिर सड़क पर. ठिठकना, आगे बढ़ना और आगे, और वापस, और सीढ़ियाँ चढ़ना, और फिर अपने कमरे में. रास्ते में गौर करना कि पहाड़ी वहाँ अभी भी है. लेटना और सो जाना, ठीक से. रात की नींद को फिर से पैदा करवाना. जागना, खिड़की से बाहर हरे पानी को देखना, खाड़ी से पहाड़ी तक, और ख़ुद तक लौट जाना. याद करना कि जंग इराक़ को बरबाद कर रहा है. दर्द को महसूस करना.
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चिमनी के पास जाना, वहाँ खड़े रहना, मेज़ पर लौटना, बैठ जाना, दवात को खोलना. ढक्कन को वापस लगाना. एक बाजू उठाना और उसकी छाया को देखना. बिना उसके रंग को परिभाषित किये. उसकी प्रकृति से हैरान हो जाना. दिमाग़ में ही दूरियाँ लांघना, बिना तय किये कि वह धरती पर है या अंतरिक्ष में. कदमों की आवाज़ सुनना. कान खड़े करना. इंतज़ार करना. अनिश्चितता को जाने देना. दिमाग़ को किसी भी तरह की मौजूदगी से ख़ाली कर लेना. उस ग्लानि से ख़ुद को मुक्त करना, जब शंकाएँ फिर से जड़ें ज़माने लगती हैं. अपनी निगाहों को सामने पेंटिंग पर ज़माना. उस पेंटिंग में खो जाना. कॉफी बनाना. उड़ेलना पर पीना भूल जाना. थोड़ा ठंडी पीना, बाक़ी फेंक देना. अनमना होना. कहना भाड़ में जाओ, भाड़ में जाओ. डाक का इंतज़ार करते हुए सोचना, किसे फ़र्क़ पड़ता है.
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सुबह दांत के डॉक्टर के पास जाना और ड्राइव करके वापस आ जाना. लेट जाना और दोपहर की ख़बरों का इंतज़ार करना. सरदर्द का होना. बेसब्र होना. जंग की उलटी करना. कुहरे का स्वागत खुश होकर करना, आंसुओं के साथ. पत्थरों में कोमलता पाना. सारा माइल्स का स्वागत चाय और केक के साथ करना. ख़बरें न सुन पाना. बात करना. विदा कहना. सूटकेस जमाना. जंग को भूल जाना. उसके बारे में सोचना बंद न करना. दिन की ख़ूबसूरती को नज़रअंदाज़ करना. बगीचे में पानी डालना. घिन से उबकाई को महसूस करना. आसमान के चीनी मिट्टी जैसे नीले पर ग़ौर करना. एक बादल के पीछे चलना. दूसरे कई नीले रंगों को देखना. ज़मीन पर लौट आना. पहाड़ियों के ऊपर उड़ना. बयार को महसूस करना. एक अदृश्य पंक्ति को पढ़ना जो कह रही है, बग़दाद के लोग क्रूर मौत मरे. दिमाग़ के ख़ालीपन का सामना करना.
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कव्वे की तरह भारी भारी उड़ना. हवा को सुनना. टहनियों के साथ होना. अपने भीतर के पेड़ को जंगली ज़ैतून के पेड़ में फूंक देना. हेराक्लीटस को पढ़ना. उसे ‘संशय ग्रस्त’ कहना क्योंकि उसका सोच ही स्पष्टता पर सवाल करने वाला है. जल्द ही हीडेगर को पढ़ना. एक फ़ोन कॉल से सूचित होना कि इराक़ को लेकर तुर्की में हरकत हो रही है. इराक़ को ख़त्म करने की कार्रवाई का गवाह बनना. अरबों को पीछे हटने के लिए मजबूर करना. रिया गालानाके की कविता की सुंदरता पर बलि बलि जाना. तबीयत ठीक न होना.
बूढ़े होते जाना, चिंता से लड़ना. सफ़र के बारे में सोचना. ख़ुद को हवाईअड्डे पर कल्पना में देखना. दिन गिनने शुरू करना. जम्हाई लेना. खिड़की से बाहर देखना. अपने दुख की हद का अंदाज़ा लगाना, बिना उसके प्रभुत्व को स्वीकार किये. उस हद को देखने की नाकामयाब कोशिश करना.
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पस्त हौसलों के अहसास के बीच में उठना. कॉफी बनाना. कुछ दूध गर्म करना. विटामिन लेना. तूफ़ान का इंतज़ार करना. ख़बरें सुनना और ख़ुद को यक़ीन दिलाना कि थोड़े समय बाद चीजें बेहतर होंगी. शरीर और दिमाग़ में ताक़त के न बचने का अहसास.
शराब के आसवन की तरह विचारों को बूँद दर बूँद इकट्ठा करना.
हरे जंगलों, लाल ज़मीन, काले चेहरे, सफ़ेद आंसुओं को याद करना.
याद करना कि कुछ भी नहीं बदलता दीख रहा. एक गहरी थकान का सामना करना. निराशावादी ख़्यालों के प्रवाह को रोकना.
चुप रहना.
27
न्यूयॉर्क उतरना. अपना बैग उठाना, टैक्सी पर चढ़ना, पुल पार करना, लाल सूरज की तरफ़ बढ़ना, शहर में घुसना, 90वीं स्ट्रीट पर रुकना, लिफ़्ट लेना, फ़र्श पर अपना बैग रखना, बिस्तर पर लेट जाना, छत को देखना, सब भूल जाना. कुछ घंटों बाद सैगॉन ग्रिल जाना सुखद था, बैंगन और चावल मंगाना, पैसे देना, लौट कर फिर गहरी नींद लेना. सुबह उमस भरे मौसम का द्वेष महसूस करना, हैरान होना कि पेड़ अभी तक बिना पत्तों के क्यों है, टहनियों का उनके सिरे तक पीछा करना, अहसास करना कि आसपास की इमारतें कितनी ऊँची हैं.., दीवार की ईंटों की गिनती करना.
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छींक कर प्रदूषण को बाहर निकालना. शीशे पर से मैले को साफ़ करना. खाँसना और थूकना. न्यूयॉर्क टाइम्स ख़रीदना और घिन से भर जाना. जंग को महान बताती तस्वीरों को देखना. मारे गये नागरिकों की संख्या को लेकर वितृष्णा से भर जाना. अपने अपार्टमेंट की सहूलियत महसूस करने पर शर्म से डूब जाना. जीने से थक जाना. अपने विचारों से धोखा करना. थोड़ा पीना और बहुत सारा खाना. बीयर पसंद करना और द पार्क. मेट्रोपॉलिटन जाने का ख़्याल करना. इस बीच पार्क में टहलने का फ़ैसला करना..
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कैलिफ़ोर्निया फ़ोन लगाना. झूठी सूचनाओं के आगे झुक जाना. बोतल को क़रीब लाना और इवियान पीना. शर्मिंदा होना कि बसरा के लोग वापस लौटते अंग्रेजों के नीचे प्यास से मर रहे हैं. प्यास से मरना स्थानीय लोगों के लिए होता है. मरना बाक़ी लोगों के लिए. ज़िदों को सूचित करना कि वे अभी तक मरे नहीं है. बच्चों की आवाज़ों में उनकी भविष्य की मौत को सुनना. बत्ती धीमी करना, बेचैन होना. बेवजह रसोई तक जाना. अंधेरे में बैठना. स्याह ख़्यालों का स्वागत करना. दिल के दबोचती जकड़ को ढीला छोड़ना. अपनी नसों को हर तरह के प्यार से ख़ाली कर देना. अपने आपको निर्जीव महसूस करना. मलिन भी.
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घंटों के बीच से दबे पाँव निकलना. झुकते हुए गिर जाना. सवालों में गुम जाना.
सारे रास्ते बंद कर देना. शाम को ढलने देना
नहीं, बल्कि परछाइयों को चढ़ने देना. बत्ती जलाना. ख़बरों से बचना. अपने हाथ धोना. उन्हें
ठीक से सुखाना. अपना सर और उसके भीतर जो कुछ है
उसे झकझोरना. मुश्किल के साथ साँस लेना. फ़िक्र न करना, पर ऊब जाना. एक समांतर
जागृति की अवस्था तक पहुँचना. खिड़की तक जाना इस तसल्ली के लिए
कि बाहर सब कुछ बहुत उदास है, जैसा बमबारी के शिकार बग़दाद में. हैरान होना
कि कोई इतना शांत कैसे है. आरोपी बनना देवदूत का कि समझौतों के लिए
इतने तैयार रहे. कोई भी व्यक्तिगत कार्रवाई का अंदाज़ा न लगा पाना.
याद रखना कि बर्फ़ गिरने वाली है, असमान्य तौर पर. शाम को लेकर डर से भर जाना. स्टीव लेसी के संगीत कार्यक्रम में जाना.
31
वहाँ लफड़े होने का भान होना. सेकंड एवेन्यू तक उतरना, टेन्थ स्ट्रीट पर निकलना, “बर्राकुडा” के भीतर जाना और मछली और आलू के टुकड़ों के सामने बैठे रहना. हड़बड़ी में खाना. सेंट मार्क्स चर्च के भीतर
जाना, टिकट ख़रीदना. क्लेरिनेट बजाते हुए एक वादक को सुनना. पर्दे पर डगलस डन को पहचान लेना, जिसपर उनके नर्तक परछाइयों की तरह दीख रहे थे. स्टीव लेसी के लिए ताली बजाना. उसके सूजे गाल और उसके सर पर बंधी पट्टी को लेकर फ़िक्रमंद होना. महसूस करना कि उसकी ताल थोड़ी धीमी है और उसका संगीत थोड़ा रोने जैसा है. कुछ ज़्यादा ही गर्म हुए कमरे में अपनी भारी जैकेट उतार देना. स्टीव के संगीत को उस जगह पर फैलने देना. कार्यक्रम के काग़ज़ से हवा करना. बग़दाद पर हमलों की आवाज़ें संगीत की धड़कन में सुनना. सोचना कि क्या नूरी इस जंग के दौरान बची रहेगी? संगीत में पूरी तरह लौटना. लगना कि वह बर्बर है. उन्मादी है. नर्तकों के साथ सोपरानो का सैक्सोफ़ोन को गड्डमड्ड करना. नाच के साथ साथ इस गहरे पैठे भान को महसूस करना कि चीजें गड़बड़ हो चुकी हैं.
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बर्फीले तूफ़ान में सुबह उठना. चकित होना कि ये अप्रैल में हो रहा है. पिछले बसंतों के फूल रहे चेरी पेड़ों को याद करना. कॉफी के गर्म रहते उसे पी लेना.
ठंडे में बाहर जाना और अख़बार ख़रीदना. नये जूते पहनना. फुर्ती से निकलना और अख़बार को उसके कोने में फेंक देना. चाँदी जैसे आसमान से बर्फ़बारी के बारे में सोचना. एक पेड़ की तुलना क्रिसमस पेड़ से करना. फिर बाहर जाना इस बार “एडगार्ड्स” में दोपहर के खाने के लिए. भुनी हुई सैलमन और उनका सलाद मंगाना. उसमें तेल और सिरका डालना. वेट्रेस को बुलाना, उसका आना और कॉफी उड़ेलना. ये पाना कि कॉफी काली है, दुनिया की तरह.
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बग़दाद में होने की गहरी इच्छा करना, जंग के ख़िलाफ़. ख़तरे को छेड़ने की. ये जानना कि अंत अब क़रीब है. ऊल-जलूल वहमों का शिकार होना. देखना कि कटे हुए लोग शैल्फ पर फूलदानों की तरह रखे हैं. आवाज़ें सुनना और अपने हाथ कानों पर रख लेना. फ़ोन उठाना, जिसने बिना चाहे ही इस ख़राब सपने को तोड़ा. चाय बनाना. पाना कि पानी गुनगुना है और वक़्त खटास से भरा. बर्फ़ गिराना रोकने के लिए आसमान को शुक्रिया देना. सोचना बेरूत को, फिलीस्तीन के सपने देखना, बग़दाद को याद करना, याद का ये बताना कि कोई भी शख़्स पूरी तरह से कभी भी एक ही जगह नहीं हो सकता है. विचार के तौर पर इतिहास से नफ़रत करना, पर यूनान से प्यार करना हमेशा जैसे भी. हिम्मत के त्यौहार की ज़रूरत महसूस करना. इकलौते कमरे की बत्ती बुझाना. न बच पाना फैलती हुई शाम से.
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देवदूतों से बात करना बतौर ख़ुद के और बतौर रिल्के के. माल्ते लॉरिड्स ब्रिगअ का ज़िक्र करना. अपना कैशोर्य याद करना और दूरियों से डरना. जिनसे प्यार हुआ, उन्हें अभी भी प्यार करना. ये पाना कि कभी सचमुच में प्यार किया था. हैरान होना कि अतीत की बातों को खुली हवा में याद करना ज़्यादा दर्दनाक है इस क़ैद के. मुँह में स्वाद का ख़राब होना. अपने नाखून चबाना. इराक़ में दर्द का होना. उस ज़ुल्म के ख़िलाफ़ बग़ावत करना जो उस पर किया जा रहा है. जोड़ का अकड़ना और पीठ के निचले हिस्से में दर्द होना. एक अनुभवी भूत की तरह दिन को पार करना. किसी भी तर्क के हो सकने से निगाह हटा लेना.
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गणित के फलित को कम न आँकना. उनसे उम्मीद करना कि वे सोच की दिशा को फिर से क़ायम करेंगे, सुप्त निश्चितताओं में विस्फोट करते हुए. चिंताओं को दूर भगाना ये जानते हुए कि ये करना भी बेकार ही है. क्रूरताओं को हैरानी के साथ घूरना. किसी अदृश्य प्रक्रिया में ख़लल डालना. दोस्तों को सलाम कहना. उन्हें खाँसते हुए सुनना. ये कहना कि हमने बड़ी बीमारियाँ ठीक कर लीं पर छोटी वाली रखी रहीं.
बग़दाद की अंदरूनी तस्वीरों का अनुमान लगाना. 1976 के दौरे को याद करना. सपने में, यादों के बग़दाद में दिन गुज़ारना. एक झटके में न्यूयॉर्क आ जाना सदमे में. पेनकिलर निगलने के लिए पानी पीना. सूजन का होना. धड़ से झुककर कहीं नहीं को देखना. उम्मीद और समर्पण दोनों को छोड़ देना. ख़ालीपन की तरफ़ खिसकना.
36
याददाश्त में अतीत के अवशेषों को तलाशना. अनिद्रा में डूबना. एक गुलाबी सुबह जलाशय में बर्फ़ का गिरना. आसमान का निरीक्षण करना, एक से दूसरी टहनी तक उड़ना, ऊँची इमारतों के बीच हवाओं के रास्ते को काटना. जाना और अख़बार उठाना, जिसमें किसी रिपोर्टर का लिखा है कि गुएर्निका, रोटरडैम, बग़दाद या न्यूयॉर्क को उड़ाना कई तरह से युद्ध अपराध की श्रेणी में आता है… फ़ोन की घंटी सुनना, बर्फ़ को देखना, गलियारे में हो रहे शोर के दौरान क्रूरता पर ध्यान लगाना. पड़ोसी के खाना की गंध को सूंघना. खाना किस चीज का विकल्प है, इस बात पर फँसे रहना. अपने बचपन की एक झलक देख पाना.
37
पदार्थ को आत्मा में बदलना. देहरी को पार करना. सारे संकेत ख़त्म कर देना और फिर उनके पीछे पड़ जाना. भविष्य को खोलना. जंग खाना. बजाय रात के बीच में उलटी कर इस बात पर हैरान होना कि कैसे पचा ली हार के अहसास को, फिर अपने बिस्तर पर लौटना और मुंह ढँक के सो जाना. ये समझाने की कोशिश करना कि न्यूयॉर्क एक दिलचस्प जगह है. मोहभंग से भरी हिक़ारत आँगन पर फेंकना कि उसे बगीचा कहना पड़ रहा है. हलकान हो जाना और पार्क के लिए निकल पड़ना. पिघली बर्फ़ के छोटे चबक्कों से बचने की कोशिश करना. एक पेड़ के नीचे खड़ा होना और उसके तने पर उन जगहों को देखना, जहां बर्फ़ के निशान हैं. हलके पीले झाड़ू पेड़ों को पसंद करना.
एक रस्ते का पीछा करना. धीमा होना. 90वीं स्ट्रीट पर लौटना. बायें जाना, फिर दायें, फिर लिफ़्ट का बटन दबाना, चाबी लेना, प्रवेश करना.. एक ख़ालीपन में प्रवेश करना.
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लिविंग रूम में झाड़ू लगाना ताकि वहाँ भीड़ लगा रहे देवदूतों को हटाया जा सके. कैलिफ़ोर्निया को सोचना जो पीछे जा रहा है. ऊबना. हवा में एक नजारा सोचना, अदृश्य हुए बग़दाद का. ग़ुस्से पर दम खर्च करना. इस पल को पकड़ना. और बेचैन न होने के चक्कर में उत्तेजित होने लगना. शरीर के सारे बांध को छोड़ देना. उनकी ज़मीन पर इराक़ी लाशों की तस्वीरें बहुत ध्यान से देखना. सबके अंत, अपने और औरों के की दुआ करना. उन तस्वीरों पर लौटना और उन्हें प्रतीकों में बदल देना. प्रार्थना करना.
39
आगे बढ़ना उदासीनता दर्शाते हुए. अपने जज़्बातों को दफ़्न करना. हज्जाम के यहाँ राहत महसूस करना. टहलना. कुछ यादों की सफ़ाई करना और मृत्यु को अपना आकार पा सकने की इजाज़त देना. जो अभी हुआ उसे फ़िल्म की तरह सोचना और कड़ुवाहट को आत्मा पर हमला करने देना. पश्चाताप से लड़ना और लड़ाई हार जाना. ये जानना कि जब यहाँ रात हो रही होती है, तब बग़दाद में सूरज उगने वाला होता है. बद्र शाकिर अल सय्याब को सोचना. उनके मक़बरे में उतरना और उन्हें बताना कि बसरा तबाह किया जा रहा है. लोगों के चेहरों पर लगे खून को धो देना. बद्र को उसकी नींद में छोड़ देना. लौटना न्यूयार्क घायल और उदासीन. इन्नाना की कविताओं को याद करना. बेबीलोन के देवताओं को बुलाना. चाहना कि वे शामिल हों लड़ाई में और जानना कि ऐसा होने वाला नहीं. मृत्यु में बदले की कार्रवाई देखना.
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भीतर की चमकतार उहापोह का सामना करना. एक सलेटी दिन शुरू करना. आत्म और आसपास के बीच की हदों को खो देना. दहशत दोगुनी करने के लिए दो अख़बार ख़रीदना. दहशत की तह तक पहुँचना. दूरियों का सुरंग में बदलना. एक पैकेट का आना. बॉबी की चिट्ठी पढ़ना जिसमें पूरे संसार की बर्बादी का अनुमान है. उस पर यक़ीन करना. वक़्त की रफ़्तार में प्रवेश करना. अपने ब्लॉक का चक्कर लगाना. गीले जूते उतारना. अपने दिल की धड़कनों पर ध्यान देना. गोली निगलना. रूथ और अनीया का इंतज़ार करना. शरीर को जंग के बारे सोचने के लिए छोड़ देना.
41
थकान की टीस महसूस करना. पौध लगे खेतों और नहरों के लगभग सपने देखना. पहाड़ चढ़ना पर यह सच नहीं है. ज़मीन से चिपक जाना. चोट करना क्योंकि वे चोट कर रहे हैं. ज़िंदा लाशों को दफ़्न करना. अपनी नक़ाब नीचे करना. घिन के साथ बाथटब को साफ़ करना. अफ़सोस करना और उसका जवाबदेह जंग को ठहराना. जो हो रहा है उसकी विशालता को लेकर पसोपेश में पड़ना. एक तरह की विलासिता में रहना और इस विचार से बचना कि चीजें कुछ और हो सकती थीं.
उस अंत का इंतज़ार करना जो ख़त्म होने वाला नहीं.
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उस महान गीत को फिर से उठाना पर फिर देखना कि सादी यूसुफ़ को अपना एंट्री वीसा नहीं मिला है. यक़ीन करना कि लोकतंत्र एक ढकोसला बन चुका है. आराम करना बेकार हो चुका है. रोशनी को आत्मा तक पहुँचने से रोकना. अपने विरोध भाव को ताप देना. राष्ट्रपति भवनों की बिना दुविधा वाली अलविदा चाहना. ढह जाना. कदमों की आहट सुनना. दरवाज़े तक जाना. दोस्त को भीतर लाना. मौसम की बात करना फिर फिसल जाना जंग की ख़बरों पर. पाना कि वे खून से लथपथ हैं और एकरसता से भरी हुई. अपना ध्यान किसी भी और बात पर लगा पाने में नाकामयाब रहना. हिंसा के जंगली होने का आग्रह करना. दोस्त को विदा करना. एक बंद कमरे में गलती करना. अपनी धारणा को दर्द की संप्रभुता द्वारा बदलने देना.
मृत्यु से जवाबदेह होने की माँग करना. उम्मीद करना कि टिगरिस धीमी नहीं पड़ेगी.
43
शीशे की गहराई नापना, उनके खून को निकालना और उसमें पानी भर देना. उसमें डूब जाना और अपनी नज़र को बिलकुल निर्जन बना देना. बुरी तरह से तबाह किये गये बग़दाद में जाना. कैलेंडर पर पढ़ना, 9 अप्रैल 2003. इराक़ियों को घुटने टेके हुए देखना, उनके चेहरों की तलाश करना, उनकी हिम्मत को दाद देना. सपने देखना और फिर दिल तोड़ती सच्चाई की तरफ़ लौटना. न्यूयॉर्क की धुंधले ख़तरों में भागीदारी करना. कैफ़े में एक घंटा बिताना. बग़दाद जाना, कुछ एक मकान और ध्वस्त करना, धूल उड़ाना. उसके बारे में हर कुछ को नज़रअंदाज़ करना. जघन्यता, अकड़ दिखाना और लोगों को जानवरों में बदलकर कसाईघरों के लिए तैयार करना. चाहना कि विजेताओं को रेत में ही गाड़ दिया जाए.
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तबाही की तैयारी करना, ये पक्का करना कि वह मारक रहेगी, एक देश को ठीक से व्यवस्थित रहने से रोकना. भाषा को विकृत करना, विकृत करना बच्चों की निगाहों को, भ्रष्ट और बरबाद करना, यह नया निज़ाम है. शैतानियत को फैलाना ख़ास तौर पर बनी मशीनों से. न्यूयॉर्क में बारिश के थमने का इंतज़ार करना और तभी बग़दाद के ऊपर बमों की बारिश करना. दुख को परिभाषित करना और एक एनाटॉमी कोर्स में उसकी चीरफाड़ करना. जुकाम पकड़ना. दोपहर का खाना पकाना और कचरे के ढेर तक जाना. बाहर जाना और सोचना कि कैसे ब्रॉडवे समुद्र तक दौड़े जा रहा है. ख़रीदना, और ख़रीदना और घर लौट आना.
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भीतर और बाहर दोनों की दीवारों को तोड़ना. उस शहर में रहना, जिसे कत्ल करके जीता गया है. एक खंडहर के ऊपर दूसरा जोड़ना. बेबीलोन से रश्क करना. उसकी लाशों और उसकी ज़िदों पर नफ़रत की बौछार करना. ज़िंदा सामान को जलाना. खजूर के पेड़ों को आग का पानी देना, ये होता है बर्बरता वाला काम. इराक़ को मिटाने वालों में पागलपन के लक्षण पकड़ना. न भूलना कि ब्रिटिश इसका हिस्सा हैं. न भूलना कभी भी. क़सम खाना पहाड़ की और उसकी ऊँचाई की, कि कभी कुछ भी नहीं भूला जाएगा. दिमाग़ की सतह पर इनान्ना का नाम कुरेदना, उसे ज़िंदा करने की कोशिश में. उसे पुनर्जीवित करना. पुनर्जीवन पर यक़ीन को फिर से जिलाना. प्यार नहीं करना. रात में देर तक जगे रहने के लिए सो लेना. ये पाना कि क्रिया के संज्ञा रूप धोखा हैं. अपनी ज़मीन खो देना.
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हडसन नदी तक जाना. बहुत सारी हरी बत्तियों को पार करना. डूबते हुए सूरज को नदी किनारे रौशनी का एक पट्टा छोड़ते हुए देखना. इस नज़ारे को जैसा था वैसा याद रखना और जैसा है. बाद में चकित होना कि कैसा दिमाग़ ने वह दिमाग़ बनाया जहां वक़्त का अहसास बना, जबकि जगह अपनी जगह से नहीं हिल रही थी. तभी यकायक समझना उसी रौशनी के यकायक में कि वक़्त उस जगह के त्रिकोणीय संघर्ष से निकला है, जहां पहले जाया जा चुका है, उसमें होने के अहसास के साथ, और इस अहसास के साथ कि चीजों की उम्र होने के साथ साथ हमारे जिस्म में भी बदलाव हुए हैं. स्मृति इस अहसास को मुमकिन करती है और इन तत्वों का आपसी मेलजोल दिमाग़ के इस बोध को बनाना है – और इस तरह- प्रकृति को- वक़्त की.
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इच्छा से दूरी बना कर रखना. इंतज़ार करना, घुटने नहीं टेकना. अंधेरे कमरों और शंकाओं के बीच रहना, आत्मा की कालिख में. छोड़ना, बायें मुड़ना, एवेन्यू पार करना, एक सुपरमार्केट जाना, विस्कांसिन में बना यूनानी चीज़ ख़रीदना, मांस और अनानास के सामने डोलना, काउंटर पर चीज के पैसे देना, बाहर निकला, ध्यान देना कि ट्विन टॉवर अपनी जगह पर नहीं है, कुछ और सोचने की कोशिश करना… घर होना.
48
अपनी दयाशील मुद्रा बनाये रखना. शोर के बारे में शिकायत करना. बग़दाद के आर्कियोलॉजिकल म्यूजियम में रखे गठरियों को लेकर रोना. दर्द महसूस करना. प्यार को दफ़्न करना. कड़ुवाहट को बाहर थूकना. अपने दांत साफ़ करना. निश्चित करना कि दिन बीते हुए कल की तरह ही रहेगा. खबरनवीसों की अंसवेदनशीलता पर अचरज करते रहना. अख़बार को फेंक देना. ज़िंदगी को बुनने वाली अलग अलग जंगों को याद करना. अपने दिमाग़ के भीतर देखना- बेरूत में चल रहे अंग्रेज फ़ौजियों को. उन तक जाना नहीं, ताकि वे तस्वीर बने रहें. अपने हाथ धोना, उन्हें सुखाना. गोली निगलना. परदों की तरफ़ देखना. दिन में नहीं सोना.
49
फ़ोन की घंटी से डरना. गोल गोल चक्कर लगाना. पेंटिंग पर आती रौशनी को बदलते देखना. ये सोचना कि पेड़ बड़ा हो चुका है. उसके ऊपर सूरज के निशान देखना. उसके भीतर झांकना और पाना एक भीमकाय शीशे की दीवार को. अपनी नजर ठीक वैसे वापस लाना जैसे कोई अपनी नाव को बंदरगाह पर लाता है. लताओं की तुलना साँपों से करना. आईने देखना. बाहर जाने की ख्वाहिश का गला घोंटना. एक सुबह के अख़बार से अगली सुबह तक अपने दिन गिनना. ख़ुद को बंदी महसूस करना. दुनिया की उम्र भूल जाना पर ख़ुद की याद रखना. दुख पर जीना. हंसने के लिए ख़ुद को अक्षम महसूस करना.
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जो नहीं पता उसकी राह देखना. न जानना कि बग़दाद की लाइब्रेरी तबाह हो चुकी है. नये तबाहखोरों पर ग़ुस्सा करना. हर किताब के लिए खून बहाना. उन किताबों में से एक को भी कभी न पढ़ पाना. अपनी नसों को दबाना. अपने दिमाग़ में छिपे रहना. हुए नुक़सान का जायज़ा लेना. वास्तविक अंजामों को देखना. आंसू पोंछना. अंदरूनी आंसुओं को घावों में बदलते पाना. नई बीमारियों का पता करना. बर्बादी के मलबे में फँस जाना. मृत सभ्यताओं में लोटना और उन्हीं में से एक हो जाना. मुर्दों से टकराना. पेट पर उलटी करना और दिल निकालकर बलगम निकालना. अपना सर अलग कर देना. बग़दाद की ज़मीन पर फ़िक्रमंद होना. गर्मी को एक हथियार की तरह बुलाना. माइकल मैक्लूर के साथ वह शराब पीना जो अरबी खून से बनी है.
51
डर को धक्का देकर किनारे करना. परदे वापस खींचना. तय करना दोनों एक ही बात है. दुख, बिना राहत वाले दुख और मौत के बीच में एक चुनना. धुँध की साँस लेना और अनिश्चितता की. सारी बत्तियाँ बुझा देना और दीवार पर अपने मन की तस्वीरों को बड़ा कर देखना. अंजाम तक ले जाई जाने वाली लड़ाई शुरू करना. उसे अगली पीढ़ी तक ले जाना. जानकार रहना हर कार्रवाई के बुनियादी तौर पर बेकार होने की. घर से बाहर निकलना, ख़ुद से भी. शुरू करना सुबह रात के लम्बे इंतज़ार में. सच को विस्फोट करवाना, देशों का विस्फोट करवाना. कुछ नहीं के सामने ख़ुद को बेसब्र पाना. अपने हाथ धोना और दांत साफ़ करना.
52
ध्यान देना कि रात में आईने चमकते हैं और कई मेल अपने जवाब की राह देख रही हैं. फ़िक्र करना इतनी दूर हो रही जंग की, इतने दबे पाँव. अगली जंग के बारे में अभी से सोचने लगना. अपनी चिंता से ख़ुद पर ही हथौड़ा मारना. अपने ख़्याल में एक परिंदे की दुनिया को लाना. अपनी पलकों के बीच से हडसन नदी को देखना. प्रदूषण को थूकना. हरी बत्तियों के बीच गाड़ी चलाना. एक जगह हादसा टालना. एक सामान में बदल जाना. ऐसे सामान में बदलना जिसे वह सामान सुरक्षित रखता है. किसी भरोसे नहीं रहना. किसी इच्छा के साथ नहीं रहना.
53
कविता और दरख़्तों के ज़रिये ध्यान बँटाने की कोशिश करना. देखना पेड़ों को तेज़ी से बढ़ते हुए. प्रकट और अदृश्य होते हुए. शैतानी हमलों के दौरान झूठे आश्रयों में शरण लेना. शरणार्थियों को बाहर निकालना, नये आश्रय से उसे धकियाना. एक फिलीस्तीनी के सिर पर आगे और पीछे से गोली मारना. इस कसाईपने में इराक़ियों को शामिल करना. बड़े कैनवास को खून से रंगना, रात की ट्रेन पकड़ना फिर हवाई जहाज़. पेरिस उतरना. टेलीफोन उठाना, बेरूत का एक नम्बर लगाना. दोस्त को कहते सुनना कि एक फिलीस्तीनी पत्रकार को किसी अंध धर्मानुयायी ने बेरहमी से गोली मार दी. भगवान की ज़रूरत पर सोचना. दिक़्क़त को धकेल कर किनारे करना. कसांड्रा के बारे में सोचना. हमुराबी के क़ायदे को याद करना. चर्बी में डूब जाना. देखना उस संकरी और लम्बी सड़क को जो पूरी दुनिया को क़त्लगाह की तरफ़ लिये जा रही है.
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सभी चित्र गूगल से साभार
इस कविता का अंग्रेजी पाठ आप यहाँ सुन सकते हैं.
निधीश त्यागी का जन्म 1969 में जगदलपुर, बस्तर में हुआ और बचपन छत्तीसगढ़ के विभिन्न कस्बों–जगदलपुर, नारायणपुर, डौंडी अवारी, जशपुरनगर, गरियाबंद, नगरी सिहावा के सिविल लाइंस के खपरैल वाले सरकारी मकानों में बीता. मध्यप्रदेश के सैनिक स्कूल, रीवा के चंबल हाउस में कैशोर्य, जहां से फौज में चाहकर भी नहीं जा सके. बाद में राजधानी बनने से पहले वाले रायपुर के शासकीय आदर्श विज्ञान महाविद्यालय में बीएससी करते हुए डेढ़ साल फेल (एक साल पूरा फेल, एक बार कंपार्टमेंटल). पास होने के इंतज़ार में देशबंधु अख़बार में नौकरी की और विवेकानंद आश्रम की आलीशान लाइब्रेरी की किताबों में मुंह छिपाया. बाद में पंडित रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय से अंग्रेज़ी में स्नातकोत्तर करने की नाकाम कोशिश. दिल्ली में आईआईएमसी (भारतीय जनसंचार संस्थान) में दाख़िला मिला, वहां. बहुत बाद में लंदन की वेस्टमिन्स्टर यूनिवर्सिटी में बतौर ब्रिटिश स्कॉलर चीवनिंग फेलोशिप. वहां पहुंच कर लगा कि बहुत पहले आना चाहिए था ऐसी जगह पर. डेबोनयेर हिंदी में नौकरी मिली, वह चालू ही नहीं हुई. इस बीच नवभारत नागपुर, राष्ट्रीय सहारा, ईस्ट वेस्ट टीवी, जैन टीवी, इंडिया टुडे, बिज़नेस इंडिया टीवी, देशबंधु भोपाल, दैनिक भास्कर चंडीगढ़ और भोपाल में काम किया. बीच में गुजराती सीख कर दिव्य भास्कर के अहमदाबाद और बड़ौदा संस्करणों की लॉन्च टीम में रहा. बेनेट कोलमेन एंड कंपनी लिमिटेड के अंग्रेज़ी टैबलॉयड पुणे मिरर के एडिटर. फिर चंडीगढ़ के अंग्रेज़ी द ट्रिब्यून में चीफ न्यूज़ एडिटर. ‘तमन्ना तुम अब कहाँ हो’ नाम से एक किताब पेंग्विन से तथा ‘कुछ नहीं : सब कुछ’ शीर्षक से एक कविता संग्रह प्रकाशित. nidheeshtyagi@gmail.com
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Adnan was a multifaceted personality – in fact an artist of many parts and she excelled in everything she did which included poetry, philosophy and painting. And paintings she reverted to whenever she found words inadequate. Personally, I found her engaging in many ways. She has written some exquisite and delightful poetry, and a novel too.
अरुण, कल रात आपके सौजन्य से अँग्रेज़ी में यह कविता पढ़ी और इसकी व्यग्रता को अनुभव किया। सुबह उठकर यह प्रभावी अनुवाद। यह कविता एकाधिक पाठ और धैर्य की माँग करती है। इसका आवेग, घबराहट और तनाव सँभालना पड़ता है। यह अप्रतिम है। इसका भूगोल विस्तृत है। इसकी यात्रा बीहड़ है। इसकी राजनैतिक समझ में विस्थापन और वर्चस्ववादिता की केंद्रीयता है और एक मनुष्य की असहायता। इसका प्रतिरोध अविरल है।
निधीश जी का अनुवाद प्रवाही है। इसे उन्होंने संभव किया, धन्यवाद और बधाई। इससे अनेक बार गुज़रना है।
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सबसे पहले ‘समालोचन’ का आभार कि इस तरह की अलभ्य और विरल चीज़ें पढ़ने वालों के लिए जुटाता रहता है. इतल अदनान ( अरब की कवियित्री, 1925 – 2021 ) की प्रस्तुत कविता सचमुच युद्ध की पृष्ठभूमि में कवि के मनोभाव और जीने की चर्या का जैसा अंकन सामने रखती है, वह उन परिस्थितियों का असल आईना है.
फैज़ अहमद फैज़ 80 – 81 में जब बेरूत गए थे तो उन्होंने पश्चिमी बेरूत के “साबरा” और “चतीला” फिलिस्तीनी शरणार्थी शिविरों में हुए नरसंहार के बरक्स कई हौलनाक नज़्म फिलिस्तीन पर लिखी थी. To Be in a Time of War में से यह कविता पढ़ते हुए फैज़ साहब की याद आ गई.
अब बात लंबी कविताओं की : कविता के कलेवर को लेकर टिप्पणी करने वाले सुधी जन मुक्तिबोध के संग्रह “भूरी भूरी ख़ाक धूल” की भविष्य धारा, मालव – निर्झर की झर – झर कंचन रेखा, शब्दों का अर्थ जब, इस नगरी में तथा जिंदगी का रास्ता जैसी कविताओं को देखें. यही क्यों, केदारनाथ सिंह की लंबी कविता “बाघ” और बाद में मंगलेश डबराल के संग्रह “हम जो देखते हैं” की नींद, सपने, बचपन, निराशा और हाशिये की कविता इसी पैटर्न की कविताएं हैं.
ज्ञातव्य यह भी है कि प्रगतिशील कविता के विमर्श काल में समझा गया कि एक ही कविता को जीवन भर भी लिखा जा सकता है.
निधीश त्यागी ने अनुवाद ख़ूब किया है.
यह कविता युद्ध का दस्तावेज़ है । एक काम को बार-बार करना, आगे जाना-पीछे लौटना, हर बार चीज़ों को नये नज़रिये से देखने की व्यग्रता कमाल का है । आस-पास की वस्तुओं को महसूस करना, घटनाओं पर पैनी निगाह बनाने से देखने की कला, बग़दाद पर अमेरिका और ब्रिटेन का हमला, रेस्तराँ में जाकर भोजन, कॉफ़ी बनाकर टेबल पर बैठकर पीना, बार-बार खिड़कियों, परदों को देखना, आदि विवरण को शानदार विस्तार देना ।
इस गद्यात्मक रूप की कविता को जितनी बार पढ़ूँ तो नये अर्थ खुलते हैं । जैसा भूमिका में लिखा है वर्तमान में यूक्रेन पर रशिया के आक्रमण को देखना चाहिये । कुमार अंबुज ने इस पर कविता लिखी थी । ऐसा एहसास होता है कि समालोचन का यह अंक पिछले अंक से बेहतर है । हर अंक हमसे यह लिखाना चाहता है । सलाम समालोचन ।
युद्ध और युद्ध से उपजे तनाव और संत्रास को यह कविता कुछ इस तरह से अभिव्यक्त करती है कि आप स्वयं को उसी मनोदशा में पाते है। वही तनाव वही संभ्रम, तमाम कुछ करते हुए, चलते हुए भी कहीं न पहुंच पाने की त्रासदी और निराशा, भय सब कविता में सजीव हो उठता है। निश्चित रूप से कविता कई बार पढ़ने पर अपनी संवेदना के साथ उद्घाटित होती है। इसे पढ़ने के पश्चात मैने अंग्रेजी में भी यह कविता पढ़ी। बढ़िया अनुवाद। प्रस्तुत करने का आभार।
जब अनुवाद इतना सुघड़ है तो मूल कविता क्या होगी इस अनुवाद को पढ़कर समझा का सकता है।शुक्रिया निधीश त्यागी और मित्र अरुण देव को।
यह सघन से सघनतर होती जाती है और अंत में स्तब्ध छोड़ती है। युद्ध की विभीषिका को इतने सरल और मार्मिक शब्दों में लिखना और उसका वैसा ही अनुवाद निश्चय ही कठिन है। यह बात और स्पष्ट हो जाती है, खासकर तब, जब आप मूल पढ़ चुके हों। Nidheesh Tyagi और समालोचन का आभार इसे पढ़वाने के लिए।