आलेख

प्रियंवद: पंकज चतुर्वेदी

प्रियंवद: पंकज चतुर्वेदी

हमारे समय के महत्वपूर्ण रचनाकार प्रियंवद देखते-देखते सत्तर पार करके बहत्तरवें वर्ष में पहुँच गए हैं. यह समय रचनाकार के अवदान को देखने, समझने, परखने का होता है. कहानियों और...

आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा :  प्रेमकुमार मणि

आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा : प्रेमकुमार मणि

बांग्ला देश में अभी जो कुछ हुआ है उससे बरबस ही गरिमा श्रीवास्तव के उपन्यास ‘आउशवित्ज़: एक प्रेम कथा’ की याद आ गई. इसमें बांग्ला देश के मुक्ति संग्राम के...

आनंदमठ : रोहिणी अग्रवाल

आनंदमठ : रोहिणी अग्रवाल

रोहिणी अग्रवाल इधर जिस तरह का लेखन कर रही हैं उसे सभ्यता-समीक्षा कहना ज्यादा उचित होगा. ऐसी आलोचना कृति से होती हुई समाज तक जाती है. एक विश्व दृष्टि सक्रिय...

वीरेन डंगवाल की कविता : श्रीनारायण समीर

वीरेन डंगवाल की कविता : श्रीनारायण समीर

‘नवारुण’ ने ‘कविता वीरेन’ शीर्षक से वीरेन डंगवाल की सम्पूर्ण कविताओं को 2018 में प्रकाशित किया था. इसकी भूमिका में मंगलेश डबराल ने प्रेम को वीरेन की मूल काव्य-संवदेना स्वीकार...

चांगदेव चतुष्टय और राग दरबारी: चंद्रभूषण

चांगदेव चतुष्टय और राग दरबारी: चंद्रभूषण

भिन्न भाषाओं के उपन्यासों के तुलनात्मक अध्ययन के लिए दोनों की संस्कृति, समाज और राजनीति से अद्यतन होना आवश्यक होता है. जब दो भारतीय भाषाओं के बीच यह अध्ययन हो...

वीस्वावा शिम्बोर्स्का के सौ साल: निधीश त्यागी

वीस्वावा शिम्बोर्स्का के सौ साल: निधीश त्यागी

वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश जोशी, असद ज़ैदी, कुमार अम्बुज, विजय अहलूवालिया, हरिमोहन शर्मा, विनोद...

नारायण सुर्वे: शरद कोकास

नारायण सुर्वे: शरद कोकास

भारतीय साहित्य चोरों के प्रति सहृदय है. और चोरों ने भी समय-समय पर साहित्य के प्रति अपनी सहृदयता प्रकट करने में कोई कसर नहीं उठा रखी है. ‘मृच्छकटिकम्’ में वह...

ग़ुलाम भारत में रेल, हिन्दी पत्रकारिता और स्त्री शिक्षा: सुजीत कुमार सिंह

ग़ुलाम भारत में रेल, हिन्दी पत्रकारिता और स्त्री शिक्षा: सुजीत कुमार सिंह

रेल के आवागमन से सामाजिक गतिशीलता को तीव्रता मिली. साथ ही इससे औपनिवेशिक भारत में कुछ मुश्किलें भी पैदा हुईं. ख़ासकर यात्रा के समय स्त्रियों को जो अधिकतर पर्दे में...

एक आँख में शहर, दूसरी में किताब: अनुराधा सिंह

एक आँख में शहर, दूसरी में किताब: अनुराधा सिंह

मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ‘शहर जो खो गया’ मुंबई में ‘बम्बई’ की तलाश है...

वाल्मीकि रामायण का समानांतर पारायण (2):  चंद्रभूषण

वाल्मीकि रामायण का समानांतर पारायण (2): चंद्रभूषण

यह वाल्मीकि रामायण के समानांतर पारायण का दूसरा और अंतिम हिस्सा है. इसकी विश्लेषणपरक तार्किकता ने महाकाव्यों को वस्तुपरक ढंग से पढ़ने की आवश्यकता को फिर से रेखांकित किया है....

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