‘बिल्लियाँ होती हैं अच्छी हर कहीं /ये तमाशा सा है बिल्ली तो नहीं’ (मीर). फ़ारसी, तुर्की, अरबी आदि भाषाओं में...
अपर्णा दीक्षित हिन्दी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लिखती हैं. EPW सहित कई पत्रिकाओं में छपती रही हैं. उनकी यह...
उदयन वाजपेयी लेखक के साथ-साथ संपादक भी हैं. ‘समास’ के प्रत्येक अंक में साहित्य, कला, सामाजिकी एवं दर्शन के किसी...
बजरंग बिहारी तिवारी वर्षों से भारतीय भाषाओं के दलित साहित्य पर कार्य कर रहे हैं. यह आलेख पंजाबी की दलित...
94 वर्षीय अदूनिस इस समय दुनिया के श्रेष्ठतम कवि माने जाते हैं. 1988 से नियमित रूप से उन्हें साहित्य के...
निधि अग्रवाल पेशे से चिकित्सक हैं. कविताएँ भी लिखती हैं. यह कहानी भी इसकी तसदीक़ करती है. हिंदी में कवि-कथाकारों...
आधुनिकता ने अपने प्रसार के लिए गद्य को चुना. ज्ञान-विज्ञान, चेतना का यही सारथी बना. खड़ी बोली हिंदी के रथ...
हिंदी का ‘अकविता’ अध्याय बांग्ला कविता की ‘भूखी पीढ़ी’ के कला-आंदोलन से प्रभावित और सम्बंधित था वहीं अंग्रेजी कविता के...
हरे प्रकाश उपाध्याय ने इधर अपना शिल्प बदला है. इन कविताओं को बड़े श्रोता वर्ग के बीच भी सुना और...
सदी के आखिरी दशक से नई सदी के तीसरे दशक के बीच फैले कवि शिरीष कुमार मौर्य का कविता संसार...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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