आज़ाद भारत की दशा-दिशा को बारीकी से समझने वाले हरिशंकर परसाई (22 अगस्त, 1924-10 अगस्त,1995) के जन्मशती वर्ष की शुरुआत...
रुस्तम जैसे कवि की एक साथ बीस कविताओं को पढ़ना विचार और संवेदना के किसी समानांतर दुनिया में कुछ देर...
किसी लेखक का तलघर उसकी उन टिप्पणियों में कहीं होता है जो वह पढ़ते, देखते, सोचते हुए कहीं लिख लेता...
मालवा की मिट्टी की गंध और काया की मिट्टी की नश्वरता लिए संगीता गुन्देचा का इधर प्रकाशित कविता-संग्रह- ‘पडिक्कमा’ चर्चा...
मिलान कुंडेरा का अभी हाल ही में निधन हुआ है. चेकोस्लोवाकिया से निर्वासित होकर फ़्रांस में वह आ बसे थे...
अपनी पहली ही पुस्तक, ‘The Hindi Public Sphere 1920-1940: Language and Literature in the Age of Nationalism, से विश्वभर में...
हिंदी की दलित कविता के तेवर और तर्क इधर और नुकीले हुए हैं, उसकी बेधकता बढ़ी है. ये कविताएँ मर्म...
आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी हिंदी ही नहीं भारत की अन्य प्रमुख भाषाओं के दलित साहित्य पर वर्षों से लिखते आ...
पद्म भूषण आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त, 1893-21 जनवरी, 1963) की आज 130वीं जयंती है. हिंदी, साहित्य और नवजागरण के...
पुरातन जैन-साहित्य और प्राकृत-अपभ्रंश की पांडुलिपियों के अनुसंधान और संपादन में मुनि जिनविजय (1888-1976) का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है, वह...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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