हमारे बचपन में एक क़ुतुबनुमा (compass) रहता था. अचरज से देखते थे कि देखो उत्तर (दिशा) तलाश ही लेता है....
मशीनों के बिना मनुष्य की कल्पना करना आज असंभव है. कहीं ऐसा तो नहीं कि वे हमें संचालित करने लगी...
जब दो अक्टूबर आता है, मन आशंकाओं से भर जाता है. न जाने इस बार गांधी को किस तरह से...
लेखन के कारण और उसकी प्रक्रिया को लेकर लेखकों से अक्सर प्रश्न पूछे जाते हैं. काव्य-शास्त्र से लेकर आधुनिक आलोचना...
मूलत: पादरी रहे अर्नेस्तो कार्देनाल ने ‘जीरो आवर’ कविता को 1950 के दशक में लिखना शुरू किया और यह मूल...
वरिष्ठ कथाकार रत्नकुमार सांभरिया (1956) के सपेरों के जीवन पर आधारित उपन्यास ‘साँप’ को वर्ष 23-24 का राजस्थान साहित्य अकादमी...
आलोचना के मुख्यतः दो कार्य हैं- सिद्धांत निर्माण और उनका अनुप्रयोग. मैनेजर पाण्डेय की आलोचना का पूर्वार्ध साहित्य के सिद्धांतों...
सदानंद शाही की सक्रियता की परिधि विस्तृत है. हिंदी ऐसे ही बढ़ती पसरती रही है. इसकी परम्परा ही घर फूँक...
अप्रतिम कवि, लेखक, अनुवादक विष्णु खरे का आज स्मृति दिवस है. विष्णु खरे का जीवन बीहड़ और अप्रत्याशित रहा है....
हिंदी में कलाकार-लेखक कम हैं. सीरज सक्सेना चित्रकार, सिरेमिक और ग्राफिक कलाकार हैं. ‘आकाश एक ताल है’, ‘सिमट सिमट जल’...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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