२०२० में अंकित नरवाल (जन्म: ६ अगस्त १९९०) को ‘यू आर अनन्तमूर्ति: प्रतिरोध का विकल्प’ पुस्तक के लिए साहित्य अकादेमी का...
राज्य और धर्म का पुराना गठजोड़ रहा है, दोनों एक दूसरे के काम आते थे. कुल मिलाकर यह गठजोड़ जनता...
‘इस तरह खत्म होती है दुनिया/धमाके से नहीं रिरियाहट से.’ नोबेल पुरस्कार प्राप्त- कवि, आलोचक, नाटककार और संपादक टी एस...
साहित्य की दुनिया में संस्थाओं का बहुत महत्व होता है. हिंदी भाषा और उसके साहित्य में ‘नागरी प्रचारिणी सभा’ की...
प्रसिद्ध दार्शनिक और महात्मा गाँधी के पौत्र रामचंद्र गांधी (9 जून, 1937-13 जून, 2007) ने ऑक्सफ़ोर्ड से पीटर स्ट्रॉसन के...
प्रो. हरीश त्रिवेदी हिंदी में लिखते रहें हैं पर ये कविताएँ छात्र-जीवन के बाद अब लिखी गयीं हैं और समालोचन...
अज्ञेय की लंबी कविता ‘ओ नि:संग ममेतर’ की तरफ ध्यान कम गया है और उसकी चर्चा भी नहीं दिखती है....
छायाकार अशोक माहेश्वरी को ज्यादा लोग संभव है नहीं जानते हों, उनके खींचे फोटो भी नहीं दिखते. अशोक अग्रवाल ने...
विनय कुमार की सूर्योदय श्रृंखला की कुछ कविताएँ आपने समालोचन पर नवम्बर २०२० में पढ़ी थीं, आज सूर्यास्त श्रृंखला की...
समाज में पुरुष-समलैंगिकता लज्जा और उत्पीड़न तथा फिल्मों में उपहास का विषय रही है. इधर कुछ संवेदनशील निर्देशकों ने इस...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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