मेरी प्रिय कविताएँ: नील कमल
लेखक अपने लेखन के विषय में कहते ही हैं, उनमें से अधिकतर कविताएँ भी पढ़ते होंगे, उनकी कुछ प्रिय कविताएँ भी होंगी. किस कवि की कौन सी कविता उन्हें पसंद...
लेखक अपने लेखन के विषय में कहते ही हैं, उनमें से अधिकतर कविताएँ भी पढ़ते होंगे, उनकी कुछ प्रिय कविताएँ भी होंगी. किस कवि की कौन सी कविता उन्हें पसंद...
अम्बर पाण्डेय अपने लेखन में लगातार प्रयोग करने वाले अन्वेषी कवि-कथाकार हैं. प्रदत्त में बदलाव करते हुए नया अर्जित करते हैं. अपनी सृजनात्मक मेधा से हर बार विस्मित करते हैं....
विनय कुमार की ‘सूर्योदय’ और ‘सूर्यास्त’ केन्द्रित कविताएँ आपने यहीं पढ़ीं हैं, प्रस्तुत दस कविताएँ ‘कश्मीर’ पर लिखी गयीं हैं, हलांकि इनमें ‘सैलानी’ शीर्षक से भी एक कविता है, पर...
अब जब कि अनिल वाजपेयी नहीं हैं, कवि अनिल वाजपेयी, उनकी लगभग अदृश्य रह गयीं इन कविताओं को पढ़ते हुए क्षोभ हुआ कि क्यों नहीं किसी ने पहले उनकी तरफ...
गगन गिल की कविताएँ हों या गद्य वह ख़ुद में उतर कर लिखती हैं, संवेदनशीलता, मार्मिकता और संक्षिप्तता उनके गद्य की भी विशेषताएं हैं. अक्का महादेवी पर उनका लिखा पढ़ते...
किसी युवा कवि से जिस रचाव और ताज़गी की आप उम्मीद करते हैं वह सब सुमित त्रिपाठी के पास है, इसके साथ ही कविता की जो मूल विशेषता है- शब्दों...
श्रीविलास सिंह की कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं. सघन बिम्बों से भरी ये कविताएँ कवि के अंदर की हलचलों और बाहर की विवशताओं के बीच अपना आकार लेती हैं. इनमें...
भक्तिकाल के कवियों की आभा और लोकप्रियता आज भी कहीं से कम नहीं हुई है, कबीर हों तुलसी हों या रैदास आदि, इन्हें तरह-तरह से समझा और समझाया जा रहा...
शैलेय के चार कविता संग्रह प्रकाशित हैं, उनका नया संग्रह ‘बीच दिसम्बर’ २०२० में सेतु प्रकाशन से प्रकाशित हुआ था. प्रकृति की चिंता और संवेदनाओं का सूखते जाना उनके विषय...
यह भी दिलचस्प है कि सॉनेट जैसे विजातीय छंद में हिंदी के जातीय एवं सांस्कृतिक मानस के कवि त्रिलोचन ने प्राकृतिक और भाषिक सौन्दर्य की कविताएँ लिखीं और उसे हिंदी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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