हारुकी मुराकामी: बर्थडे गर्ल: अनुवाद : श्रीविलास सिंह
विश्व प्रसिद्ध कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानियों के अनुवाद आप नियमित रूप से समालोचन पर पढ़ रहें हैं, यहाँ यह मुराकामी की सातवीं अनूदित कहानी है. लेखक-अनुवादक श्रीविलास सिंह द्वारा...
विश्व प्रसिद्ध कथाकार हारुकी मुराकामी की कहानियों के अनुवाद आप नियमित रूप से समालोचन पर पढ़ रहें हैं, यहाँ यह मुराकामी की सातवीं अनूदित कहानी है. लेखक-अनुवादक श्रीविलास सिंह द्वारा...
लखनऊ के शायर मीर हसन का एक शेर है- ‘कूचा-ए-यार है और दैर है और काबा है / देखिए इश्क़ हमें आह किधर लावेगा.’ प्रेम से कविता का बहुत ही...
विश्व कविता में प्रतिरोध की शानदार परम्परा रही है. रुसी कवि येवगेनी येव्तुशेन्को (18 जुलाई, 1932- 1 अप्रैल, 2017 ने अपने ही देश की नीतियों के ख़िलाफ़ कई कालजयी कविताएँ...
विश्व के समकालीन बड़े कथाकार हारुकी मुराकामी की इस कहानी का जापानी भाषा से अंग्रेजी अनुवाद फिलिप गैब्रिएल ने ‘Hunting knife’ शीर्षक से किया है जो 1990 में लिखी गयी...
इतल अदनान (1925 – 2021) को अरब की 7 वीं शताब्दी की कवयित्री अल-खानसा (al-Khansa) जो पैग़म्बर मुहम्मद साहब के समकालीन थीं के बाद की सबसे महत्वपूर्ण अरबी कवयित्री और...
गैब्रिएल गार्सिया मार्खेज़ अपनी लम्बी कहानियों के लिए जाने जाते हैं, १९६२ में प्रकाशित कहानी ‘One Of These Days’ आकार में छोटी है और इसकी कम चर्चा हुई है. इस...
अन्तोन चेख़फ़ (29 जनवरी,1860 -15 जुलाई,1904) की कहानियां आज भी पाठकों पर गहरा असर छोड़ती हैं. कौशलेन्द्र पेशे से चिकित्सक हैं पर मन उनका साहित्य में ही रमता है. चेख़फ़...
हारुकी मुराकामी की कहानी ‘Barn Burning’ मूल रूप से जापानी भाषा में 1983 में लिखी गयी थी, फिलिप गैब्रिएल का इसका इंग्लिश अनुवाद ‘The New Yorker’ में 1992 में प्रकाशित...
युद्ध वर्तमान और भविष्य को ही प्रभावित नहीं करता वह भूत को भी बदल देता है. रूस द्वारा यूक्रेन के विरुद्ध हमले में राजधानी कीव का वह स्मारक भी चपेट...
अरबी कविता में युगांतर उपस्थित करने वाले और विश्व के श्रेष्ठ कवियों में से एक अदुनिस (अली अहमद सईद अस्बार, जन्म: 1 जनवरी, 1930) की लम्बी कविता जिसका अरबी से...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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