चित्तधर ‘हृदय’: पत्र जो जला नहीं: चंद्रभूषण
चित्तधर ‘हृदय’ (1906-1982) को ‘नेपाल भाषा’ में लिखने के लिए सात साल की क़ैद की सजा मिली थी, आज वह बीसवीं शताब्दी के महान लेखकों में शामिल हैं. उनका जीवन...
चित्तधर ‘हृदय’ (1906-1982) को ‘नेपाल भाषा’ में लिखने के लिए सात साल की क़ैद की सजा मिली थी, आज वह बीसवीं शताब्दी के महान लेखकों में शामिल हैं. उनका जीवन...
अली बाबा (1940 –2016 ) सिंधी भाषा के प्रसिद्ध लेखक हैं. उनकी कहानी ‘गर्भ का तेज’ इसी शीर्षक से 1970 के आसपास प्रकाशित हुई थी. इसका मूल सिंधी से यह...
इक्कीसवीं सदी के बेकेट के रूप में विख्यात यून फ़ुस्से (1959) को 2023 के साहित्य का नोबेल पुरस्कार देते हुए उनके नाटकों की नवोन्मेषी प्रकृति और उसके माध्यम से अनकहे...
कारागार में मृत्यु-दंड की रात कैसी होती होगी? तीन राजनीतिक कैदी मृत्यु की प्रतीक्षा कर रहें हैं, उनमें एक कमसिन लड़का है. अगली सुबह उनके पीछे दीवार होगी और सामने...
मिलान कुंडेरा का अभी हाल ही में निधन हुआ है. चेकोस्लोवाकिया से निर्वासित होकर फ़्रांस में वह आ बसे थे और वहीं के नागरिक हो गये और फ्रेंच में लिखने...
मराठी और अंग्रेजी में लिखने वाले द्विभाषी कवि अरुण कोलटकर कबीर के साथ एकमात्र ऐसे आधुनिक भारतीय कवि हैं जिन्हें ‘न्यूयॉर्क रिव्यू ऑफ बुक्स’ के ‘वर्ल्ड क्लासिक्स’ में शामिल किया...
अंचित समर्थ कवि के साथ-साथ सक्षम अनुवादक भी हैं. पाब्लो नेरुदा की इन कविताओं में पाब्लो के साथ अंचित का काव्य-व्यक्तित्व भी समाया हुआ है. पाब्लो की कविताएँ संसार की...
मशहूर अंग्रेजी उपन्यासकार डी. एच. लॉरेंस (1885–1930) की कहानी 'द रॉकिंग हॉर्स विनर' १९२६ में प्रकाशित हुई और इसी शीर्षक से इसपर 1949 में फ़िल्म भी बनी. उस समय अपने...
आशुतोष भारद्वाज इन दिनों प्राग के काफ़्का हाउस में राइटर-इन-रेजिडेंस हैं. काफ़्का को बेहतर ढंग से समझने का इससे अच्छा अवसर और क्या हो सकता है? और इसका परिणाम है...
प्रसिद्ध हंगेरियन कवि-लेखक इस्तवान तुर्ज़ी के पच्चीस कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. हिंदी में पहली बार उनकी कविताएँ अनूदित हो रहीं हैं. अनुवाद चित्रकार और लेखिका संगीता गुप्ता ने...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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