छोटके काका और बड़के काका: सत्यदेव त्रिपाठी
ग्रामीण जीवन के राग-विराग को सुनना हो तो संस्मरणों को पढ़ना चाहिए. वरिष्ठ लेखक सत्यदेव त्रिपाठी की पुस्तक ‘मूक मुखर ...
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ग्रामीण जीवन के राग-विराग को सुनना हो तो संस्मरणों को पढ़ना चाहिए. वरिष्ठ लेखक सत्यदेव त्रिपाठी की पुस्तक ‘मूक मुखर ...
कला और साहित्य का असर राजनीति की तरह तत्काल नहीं दिखता पर होता गहरा है. सहृदय, विवेकवान और उदार मनुष्यता ...
संस्मरण लिख रहें हैं जिनमें से कुछ आपने समालोचन पर ही पढ़े हैं. प्रस्तुत संस्मरण दो पालतू कुत्तों पर हैं ...
पशु-पक्षियों पर संस्मरण लिखे गये हैं,हालांकि वे कम हैं. वरिष्ठ लेखक और रंगमंचीय आलोचक सत्यदेव त्रिपाठी के पशुओं पर लिखे ...
थियेटर के लिए पद्मश्री से सम्मानित वंशी कौल (23 August 1949 – 6 February 2021) की संस्था ‘रंग विदूषक’ (भोपाल) ...
\'ढोज्या में ढोज्या ते दीधेला घूँट, हवे माँझी झाँझरीने बोलवानी छूट.\'गुजराती भाषा की फिल्म ‘हेल्लारो’ को 66वें भारतीय फिल्म पुरस्कार समारोह ...
उत्तर भारतीय ग्रामीण समाज को समझने के लिए राजनीतिक और सामजिक अध्ययन की कुछ कोशिशें हुईं हैं. साहित्य की आत्मकथा, ...
‘करियवा’, ‘उजरका’ के बाद अब ‘सुघरका’. ये तीनों बैलों के नाम हैं. एक समय कृषि-संस्कृति के केंद्र में रहे बैल ...
प्रेमचंद की कहानी ‘दो बैलों की कथा’ के बाद अब गाय गाय न रहीं बैल तो जैसे अदृश्य ही हो ...
‘पोस्ट बॉक्स नं. 203 नाला सोपारा’ को वर्ष २०१८ के साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित किया जा चुका है. चित्रा ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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