व्यतीत घरों में : आशुतोष दुबे
घर, किसी पुराने घर की यादों की ईंटों से बनता है. घर भी हमारे भीतर रहते हैं. अंत से पहले ...
Home » आशुतोष दुबे
घर, किसी पुराने घर की यादों की ईंटों से बनता है. घर भी हमारे भीतर रहते हैं. अंत से पहले ...
राजकपूर ने हिंदी सिनेमा की मजबूत नींव रखी. उनकी फिल्में उन इमारतों की तरह हैं जिनसे आज़ादी की उम्मीद का ...
‘संयोगवश’ आशुतोष दुबे का छठा कविता संग्रह है जिसे राजकमल ने प्रकाशित किया है. उनकी कुछ कविताओं के भारतीय और ...
हिंदी फिल्मों में अभिनेता और निर्देशक दोनों भूमिकाओं में देव आनंद (26/9/1923– 3/12/2011) चर्चित रहे. अपने अंदाज़ और तेवर से ...
मशहूर अंग्रेजी उपन्यासकार डी. एच. लॉरेंस (1885–1930) की कहानी 'द रॉकिंग हॉर्स विनर' १९२६ में प्रकाशित हुई और इसी शीर्षक ...
श्रीकांत वर्मा की कविताओं ने इधर समकालीन अर्थवत्ता प्राप्त की है. शासक और सत्ता की आंतरिक विडम्बनाओं को जिस तीखे ...
आशुतोष दुबे की कविताओं में शिल्प का सौष्ठव और कहन की बारीकी देखते बनती है. उनका पाँचवाँ कविता संग्रह ‘सिर्फ़ ...
कवि अपनी कविताओं या कविता के विषय में क्या सोचते हैं ? इस रचनात्मक जिज्ञासा के साथ समालोचन यह स्तम्भ ...
आज विश्व रंगमंच दिवस है, यह प्रतिवर्ष २७ मार्च को मनाया जाता है, इस दिन एक अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संदेश भी ...
‘विदा लेना बाक़ी रहे’ आशुतोष दुबे का चौथा कविता संग्रह है जो इस वर्ष प्रकाशित हुआ है. उनकी कुछ कविताओं ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum