मुझे किसी पर विश्वास नहीं रहा: कुमार अम्बुज
साहित्य अपने काल में धंस कर लिखा जाता है और अगर उसमें दम होगा तो वह अपने काल को पार ...
साहित्य अपने काल में धंस कर लिखा जाता है और अगर उसमें दम होगा तो वह अपने काल को पार ...
शिरीष मौर्य इधर थीम केंद्रित कविता- शृंखलाओं पर काम कर रहें हैं. 'रितुरैण', ‘चर्यापद’ और ‘राग पूरबी’ के बाद ‘आत्मकथा’ ...
हिंदी के महत्वपूर्ण कवि कुमार अम्बुज की कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं. ये कविताएँ हमारे समय को संबोधित हैं, ये ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum