नौटंकी की लोक परम्परा और अतुल यदुवंशी का रंगकर्म: सत्यदेव त्रिपाठी
शास्त्र के निर्मित हो जाने पर प्रयोग की परम्परा को उससे जोड़ कर अक्सर देखा जाता है. भरतमुनि के नाट्यशास्त्र ...
शास्त्र के निर्मित हो जाने पर प्रयोग की परम्परा को उससे जोड़ कर अक्सर देखा जाता है. भरतमुनि के नाट्यशास्त्र ...
ग्रामीण जीवन के राग-विराग को सुनना हो तो संस्मरणों को पढ़ना चाहिए. वरिष्ठ लेखक सत्यदेव त्रिपाठी की पुस्तक ‘मूक मुखर ...
कला और साहित्य का असर राजनीति की तरह तत्काल नहीं दिखता पर होता गहरा है. सहृदय, विवेकवान और उदार मनुष्यता ...
संस्मरण लिख रहें हैं जिनमें से कुछ आपने समालोचन पर ही पढ़े हैं. प्रस्तुत संस्मरण दो पालतू कुत्तों पर हैं ...
पशु-पक्षियों पर संस्मरण लिखे गये हैं,हालांकि वे कम हैं. वरिष्ठ लेखक और रंगमंचीय आलोचक सत्यदेव त्रिपाठी के पशुओं पर लिखे ...
सत्यदेव त्रिपाठी फ़िल्मों और रंगमंच पर वर्षों से लिखते रहें हैं, इन विषयों पर उनकी कई क़िताबें प्रकाशित हुईं हैं. ...
थियेटर के लिए पद्मश्री से सम्मानित वंशी कौल (23 August 1949 – 6 February 2021) की संस्था ‘रंग विदूषक’ (भोपाल) ...
ज़ाहिर है जयशंकर प्रसाद (३० जनवरी,१८९०- १४ जनवरी,१९३७) ने उसके बाद भी अपनी आत्मकथा नहीं लिखी. हाँ उनके विषय में ...
मनुष्य भी जानवर है, पर विकसित होकर उसने सबसे बुरा व्यवहार जानवरों से ही किया, जो उपयोगी थे उन्हें पालतू ...
\'ढोज्या में ढोज्या ते दीधेला घूँट, हवे माँझी झाँझरीने बोलवानी छूट.\'गुजराती भाषा की फिल्म ‘हेल्लारो’ को 66वें भारतीय फिल्म पुरस्कार समारोह ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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