चंद्रयान और वेदों की वापसी : चंद्रभूषण
तार्किक चेतना से हासिल की गयी विज्ञान की उपलब्धियों को उनके यहाँ पहले से होने जैसे किसी कथन से छोटा करने की प्रवृत्ति लगभग सभी धर्मों में देखी जा सकती...
तार्किक चेतना से हासिल की गयी विज्ञान की उपलब्धियों को उनके यहाँ पहले से होने जैसे किसी कथन से छोटा करने की प्रवृत्ति लगभग सभी धर्मों में देखी जा सकती...
‘कौन जात हो भाई’ कविता से चर्चित बच्चा लाल ‘उन्मेष’ के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कुछ दिन पहले उनकी दस कविताएँ समालोचन पर प्रकाशित हुईं थीं. इन...
मालवा की मिट्टी की गंध और काया की मिट्टी की नश्वरता लिए संगीता गुन्देचा का इधर प्रकाशित कविता-संग्रह- ‘पडिक्कमा’ चर्चा में है. प्रसिद्ध चित्रकार और लेखक अखिलेश ने अपने इस...
आलोचक बजरंग बिहारी तिवारी हिंदी ही नहीं भारत की अन्य प्रमुख भाषाओं के दलित साहित्य पर वर्षों से लिखते आ रहें हैं. देवेन्द्र कुमार बंगाली की लम्बी कविता ‘जंगल का...
पद्म भूषण आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त, 1893-21 जनवरी, 1963) की आज 130वीं जयंती है. हिंदी, साहित्य और नवजागरण के अग्रदूतों में उनका महत्वपूर्ण स्थान है. उनके अवदान की चर्चा...
प्रेमचंद की परम्परा क्या है और उनकी परम्परा का किस तरह विकास हुआ है. यह ऐसा विषय है जिसपर लगातार बहसें होती रहीं हैं. परम्परा में शामिल लेखकों की सूची...
प्राग में निर्मल वर्मा के मित्रों में मिलान कुंदेरा भी शामिल थे. निर्मल वर्मा ने उनकी कहानियों के मूल से हिंदी में अनुवाद किये हैं. लेखन में सेक्स को ‘पॉलिटिकल...
“उपन्यास का कार्य प्रश्न पूछना है, वह दुनिया को समझदारी और सहिष्णुता के साथ प्रश्न के रूप में देखने की दृष्टि देता है.” ऐसा मानने वाले विश्व-प्रसिद्ध उपन्यासकार मिलान कुंदेरा...
कविता विघटनकारी राजनीति को ललकार सकती है, उसका प्रतिपक्ष रच सकती है. ऐसे ही शायर थे राहत इंदौरी जो मुशायरों में असहमति की मज़बूत आवाज़ थे. उनके कवि-कर्म पर विस्तार...
तमिल साहित्य के पांच महान महाकाव्यों में से एक ‘सीलप्पदिकारम्’ के रचनाकार इलंगो अडिहल चोल साम्राज्य से जुड़े समझे जाते हैं. इधर चर्चित सेंगोल का सम्बन्ध भी चोल साम्राज्य से...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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