एक भाषा की कविता को दूसरी भाषा में लिखते हुए जो हम करते हैं वह अनुवाद है कि पुनर्रचना, वह...
संकीर्ण विचारों से देश तो क्या परिवार नहीं चल सकते. गणतंत्र उदात्त विचारों की नींव पर खड़े होते हैं. करुणा...
हिमालय और उसके समाज पर शेखर पाठक दशकों से लिख रहे हैं. उनकी पुस्तक ‘हिमांक और क्वथनांक के बीच’ केवल...
हिंदी अनुवाद : अजित हर्षे
युवा कथाकार आयशा आरफ़ीन की कहानियाँ पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं. उड़िया से हिंदी में अनुवाद करती हैं. अंग्रेजी के...
पराधीन भारत में जनता की दशा-दिशा को समझने के लिए गांधी जी 1915 में हरिद्वार के कुम्भ मेले में शामिल...
सविता सिंह की इन नयी कविताओं में शहर है जो छूट गया था, दोस्त हैं जिनकी छवियाँ बदल गई हैं....
पराधीन भारत में कुम्भ की व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी. मेले से तत्कालीन सरकार को व्यय से कई गुना...
इतिहास-लेखन कितना संवेदनशील और राजनीतिक है, यह कहने की आवश्यकता नहीं है. रसूल हमज़ातोव (मेरा दाग़िस्तान) ने ठीक ही लिखा...
पिंजरे में क़ैद किसी घायल पक्षी की तड़प. विख्यात लेखिका तेजी ग्रोवर के इस ‘आत्मगल्प’ को पढ़ते हुए यह बिम्ब...
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