युवा कथाकार आयशा आरफ़ीन का पहला कहानी-संग्रह ‘मिर्र’ इसी वर्ष राजकमल प्रकाशन से प्रकाशित हुआ है. आयशा आरफ़ीन की कहानियाँ...
संख्याओं की ऊब से शब्द पैदा हुए होंगे, और आज फिर सब कुछ संख्याओं में बदल रहा है. हमारी असफलता...
शिरीष कुमार मौर्य अपने कविता-संग्रह ‘धर्म वह नाव नहीं’ को ‘नव-चर्यापद’ कहते हैं. सिद्धों द्वारा विरचित आचरण के पदों (चर्यापद)...
सदियों से भारत जिज्ञासाओं का घर रहा है. अध्येता दूर देशों से दुर्गम यात्राएँ कर यहाँ आते रहे हैं. उनकी...
दीपपर्व की शुभकामनाओं के साथ वरिष्ठ कथाकार प्रियंवद की नई कहानी, ‘अबू आंद्रे की खुजली’ ख़ास आपके लिए प्रस्तुत है....
ज्ञान अब केवल शक्ति नहीं, ‘धन’ भी है. भारत से बड़ी संख्या में विद्यार्थी विदेशों की ओर रुख कर रहे...
लास्लो क्रास्नाहोर्काई को 2025 का साहित्य का नोबेल पुरस्कार मिलने के साथ ही, ऐडम थर्लवेल द्वारा लिया गया उनका लंबा,...
घर, किसी पुराने घर की यादों की ईंटों से बनता है. घर भी हमारे भीतर रहते हैं. अंत से पहले...
2025 के साहित्य के नोबेल पुरस्कार से सम्मानित ला:सलो क्रॉस्नॉहोरकै (laszlo-krasznahorkai) के कुछ साक्षात्कारों पर आधारित इस पाठ में आप...
साहित्य के नोबेल पुरस्कार की प्रतीक्षा पूरी दुनिया करती है, और हिंदी साहित्य तो इसकी प्रतीक्षा 1913 से ही कर...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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