सफ़ेद के सातों रंग: शेषनाथ पाण्डेय
शेषनाथ पाण्डेय की कुछ कविताएँ और कहानियां प्रकाशित हुईं हैं. उनकी लम्बी कविता ‘सफ़ेद के सातों रंग’ प्रस्तुत है. इसमें प्रेम के अनेक रंग मिले हुए हैं.
शेषनाथ पाण्डेय की कुछ कविताएँ और कहानियां प्रकाशित हुईं हैं. उनकी लम्बी कविता ‘सफ़ेद के सातों रंग’ प्रस्तुत है. इसमें प्रेम के अनेक रंग मिले हुए हैं.
‘मधुमती’ पत्रिका के यशस्वी संपादक ब्रजरतन जोशी कविताएँ भी लिखते हैं. शब्द और भाषा पर केन्द्रित उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं.
अविनाश नयी पीढ़ी के रचनाकार हैं, कुछ कहानियाँ और एक उपन्यास प्रकाशित है. उनकी कुछ नयी कविताएँ प्रस्तुत हैं.
हरि मृदुल की कविताएँ पहाड़ की थाप पर थिरकती हैं, वहां की हवा, बहता पानी और लोक-कंठ उनकी कविताओं में आते हैं. स्मृतियाँ हैं जो महानगर में कवि को बरबस...
रोहिणी अग्रवाल की पहचान कथा आलोचक की है पर उनके अंदर कविता की नदी भी है, इसका बहना इधर ही हिंदी ने देखा है, कुछ अरसे पहले समालोचन पर ही...
अनुवाद के क्षेत्र में प्रभात मिलिंद अर्से से सक्रिय हैं, इस वर्ष उनके पहले कविता संग्रह के आने की उम्मीद है. प्रस्तुत कविताएँ आत्म वृतांत से अपना आधार ग्रहण करती...
दुमका (झारखण्ड) के राही डूमरचीर की कविताएँ बता देती हैं कि वे आदिवासी समाज के सरोकारों से जुड़ी हैं. मिथकों में अपनी जगह तलाशती ये कविताएँ आदिवासी समाज के प्रति...
आज बसंत पंचमी है. धूप खिली है, जैसे बसंत का संदेश लेकर आयी हो. आज महत्वपूर्ण कवयित्री सविता सिंह का जन्म दिन भी है, जीवन का साठवां बसंत. इधर उनका...
शब्द की साधना में ऐसी अवस्था आती है जब शब्द पिघलने लगते हैं, अर्थ उनका अभीष्ट नहीं रह जाता, वे कुछ और ही आकार ले लेते हैं, ऐसे अनुभव जो...
राकेश मिश्र का चौथा कविता संग्रह- ‘शब्दों का देश’ राधाकृष्ण से २०२१ में प्रकाशित हुआ है, कवि की विकास यात्रा देखी जा सकती है. शब्दों को लेकर वे और मितव्ययी...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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