कौशलेन्द्र की कविताएँ
ख़ुद के अनुभवों से अंकुरित कविताओं में स्वाभाविक सच्चाई रहती है. कौशलेन्द्र की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा एहसास मज़बूत होता है. वे लय को भी साथ लेकर चलते हैं....
ख़ुद के अनुभवों से अंकुरित कविताओं में स्वाभाविक सच्चाई रहती है. कौशलेन्द्र की कविताओं को पढ़ते हुए ऐसा एहसास मज़बूत होता है. वे लय को भी साथ लेकर चलते हैं....
अंकिता शाम्भवी 'निर्गुण संतों और बाउलों के साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन' विषय पर शोध कार्य कर रहीं हैं, चित्रकला और संगीत में भी अभिरुचि है. उनकी कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं.
किसी भी साहित्यिक पत्रिका के लिए यह संतोष का विषय हो सकता है कि एकदम नयी पीढ़ी हिंदी साहित्य में रुचि ले रही है, कविताएं लिख रही है और बेहतर...
‘कविता से अनुराग प्रथमतः और अंततः जिजीविषा का ही प्रकार है.’ ऐसा मानने वाले अशोक वाजपेयी की ये कविताएँ उनकी इधर की लिखी कविताएँ हैं, अस्सी पार की कविताएँ हैं....
आदर्श भूषण गणित के अध्येता हैं, कविताएँ लिख रहें हैं. प्रकाशन अभी शुरू ही हुआ है. कुछ कविताएँ प्रस्तुत हैं
कवयित्री बाबुषा ने दरविश की ग़ज़लों की तरफ ध्यान खींचा तो महसूस हुआ कि कुछ बात तो है इस शायर में. ग़ज़लें और शेर इतने लोकप्रिय हैं...
बीहू आनंद अभी सोलह साल की हैं, दसवीं में पढ़ती हैं, कविताएँ लिखती हैं, चित्र बनाती हैं, नाटकों में भाग लेती हैं. जीवन से भरी हुई हैं. पर कुछ ऐसा...
मुकरी काव्य की पुरानी विद्या है, अमीर खुसरों ने इन्हीं मुकरियों से हिंदी का रास्ता तैयार किया था, जो खड़ी बोली हिंदी की प्रकृति के निकट थीं, आज भी उन्हें...
उम्र पकने के साथ-साथ प्रेम भी परिपक्व होता चलता है, वह देह से कम देखभाल में ज्यादा प्रकट होता है. वृद्ध जोड़ो की प्रेम कविताएं हिंदी में इतनी कम लिखी...
प्रो. हरीश त्रिवेदी हिंदी में लिखते रहें हैं पर ये कविताएँ छात्र-जीवन के बाद अब लिखी गयीं हैं और समालोचन पर ही प्रकाशित हो रहीं हैं. लगभग आजीवन गद्य में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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