कविता

आशुतोष दुबे की कविताएँ

आशुतोष दुबे की कविताएँ

आज विश्व रंगमंच दिवस है, यह प्रतिवर्ष २७ मार्च को मनाया जाता है, इस दिन एक अंतरराष्ट्रीय रंगमंच संदेश भी दिया जाता है. १९६२ में पहला संदेश फ्रांस के ज्यां...

आशीष बिहानी की कविताएँ

(पेंटिग : सेवा : भूपेन खख्खर ) \"युवा कवि आशीष बिहानी की कविताएँ समकालीन हिंदी काव्य-परिदृश्य में नए-नवेले अहसासों से भरपूर होकर आती हैं. ये कविताएँ \'छटपटाते ब्रह्मांड\' की \'धूल-धूसरित...

हेमंत देवलेकर की कविताएँ

हेमंत देवलेकर की कविताएँ

हेमंत कवि हैं और समर्थ रंगकर्मी भी. वे उन कुछ लोगों में हैं जो पूर्णकालिक कला होते हैं, यह जीवट और ज़ोखिम उन्हें लगातार लिख रहा है. पहले भी आप उन्हें समालोचन...

सुधांशु फ़िरदौस की कविताएँ

सुधांशु फ़िरदौस की कविताएँ

सुधांशु फ़िरदौस की कविताओं में ताज़गी है. इधर की पीढ़ी में  भाषा, शिल्प और संवेदना को लेकर साफ फ़र्क नज़र आता है. धैर्य और सजगता के साथ  सुधांशु कविता के...

अनुराधा सिंह की कविताएँ

अनुराधा सिंह की कविताएँ

अनुराधा सिंह की कविताएँ संशय की कविताएँ हैं.सबसे पहले वह लिखे हुए शब्दों को संदेह से देखती हैं कि क्या इसका अर्थ अभी भी बचा हुआ है.फिर वह प्रेम को...

जसिन्ता केरकेट्टा की कविताएँ

जसिन्ता केरकेट्टा की कविताएँ

जसिन्ता केरकेट्टा की कविताओं के संसार में आदिवासी समाज की अस्मिता की खोज है.  विकास की विडम्बना, हिंसा और छल की पहचान है. आक्रोश की सबल स्वाभाविक अभिव्यक्तियाँ हैं.  प्रकृति की...

खगेन्द्र ठाकुर की कविताएँ

खगेन्द्र ठाकुर की कविताएँ

  अविभाजित बिहार (अब झारखण्ड) के गोड्डा के एक गाँव में जन्म. प्रगतिशील लेखक संघ से जुड़ाव और राजनीतिक सक्रियता. ‘जनशक्ति’ अख़बार की पत्रकारिता. ‘देह धरे को दण्ड’, ‘ईश्वर से...

विनोद पदरज की कविताएँ

विनोद पदरज की कविताएँ

हिंदी के वरिष्ठ कवि विनोद पदरज की कविताओं की दुनिया लुटते–पिटते-घिसटते जीवन की आपाधापी में मुब्तिला आम आदमी की दुनिया है. यह बच्चे जनती-पालती-दुलराती-खटती-मार खाती आम स्त्री की भी दुनिया...

मनोज कुमार झा की कविताएँ

मनोज कुमार झा हिंदी कविता में न परिचय के मोहताज हैं न किसी प्रस्तावना के. उनकी कविता की अपनी जमीन है जिसे उन्होंने मशक्कत से तैयार किया है. किसी तात्कालिक उपभोक्तावाद...

अविनाश मिश्र : नवरास

अविनाश मिश्र : नवरास

12 वीं शती के महाकवि जयदेव विरचित ‘गीतगोविन्द’ ऐसी कृति है जिसकी अनुकृति का आकर्षण अभी समाप्त नहीं हुआ है. केवल भारतीय भाषाओँ में इसके २०० से अधिक अनुवाद हुए...

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