शोध

उपनिवेश में कुम्भ : उमेश यादव

उपनिवेश में कुम्भ : उमेश यादव

पराधीन भारत में कुम्भ की व्यवस्था ब्रिटिश शासन के अधीन थी. मेले से तत्कालीन सरकार को व्यय से कई गुना अधिक राजस्व की प्राप्ति होती थी. यह स्वाधीनता संघर्ष का...

हजारीप्रसाद द्विवेदी और आदिकाल: योगेश प्रताप शेखर

हजारीप्रसाद द्विवेदी और आदिकाल: योगेश प्रताप शेखर

जिसे हम हिंदी साहित्य का आदिकाल कहते हैं और जिसमें बौद्ध, नाथ, जैन और लौकिक साहित्य की नदियाँ बहती हैं. उनमें अभी ऐसा बहुत कुछ है जिसका अनुसंधान शेष है....

हिंदी की आदिवासी कविताओं में स्थानीयता के विभिन्न स्वर: महेश कुमार

हिंदी की आदिवासी कविताओं में स्थानीयता के विभिन्न स्वर: महेश कुमार

महेश कुमार इधर हिंदी की आदिवासी कविताओं पर कार्य कर रहें हैं. उनके आलेखों ने ध्यान खींचा है. उनकी दृष्टि और तैयारी दिखती है. संस्कृति और इतिहास के संदर्भ में...

सर्वेक्षण के बहाने कुछ जरूरी बातें

सर्वेक्षण के बहाने कुछ जरूरी बातें

प्रकाशन व्यवसाय है. साहित्य का प्रकाशन भी व्यवसाय ही है. ऐसे में यह आवश्यक हो जाता है कि पाठकों की अभिरुचियों, क्रय शक्ति आदि के आकड़े उपलब्ध हों जिससे इस...

महेशदत्त शुक्ल: सुरेश कुमार

महेशदत्त शुक्ल: सुरेश कुमार

हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा फ्रेंच भाषा के गार्सां द तासी के ‘इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐंदूई ऐ ऐंदूस्तानी (1839) से आरम्भ हुई मानी जाती है. इसके बाद हिंदी...

हरदेवी की यात्रा: गरिमा श्रीवास्तव

हरदेवी की यात्रा: गरिमा श्रीवास्तव

गरिमा श्रीवास्तव का स्त्री-विमर्श से सम्बन्धित शोध और लेखन महत्वपूर्ण है. वह लगातार इस दिशा में अग्रसर हैं, स्त्री इतिहास के उन पन्नों को प्रकाश में ला रहीं हैं जिनपर...

उद्योतन सूरि कृत कुवलयमालाकहा: माधव हाड़ा

उद्योतन सूरि कृत कुवलयमालाकहा: माधव हाड़ा

आलोचक माधव हाड़ा प्राचीन पोथियों की वृहत कथाओं के हिंदी रूपांतरण और विवेचना का कार्य इधर वर्षों से कर रहें हैं. समालोचन पर ही आपने- ‘जिनहर्षगणि कृत रत्नशेखर नृप कथा’,...

राहुल सांकृत्यायन: बुद्ध, जापान और ‘जपनिया राछछ’: पंकज मोहन

राहुल सांकृत्यायन: बुद्ध, जापान और ‘जपनिया राछछ’: पंकज मोहन

औपनिवेशिक भारत में आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ राजनीतिक नहीं थी. जड़ों की तलाश में बुद्ध तक अनेक लेखक विचारक गये, उनमें राहुल सांकृत्यायन भी थे. जितनी विविधता, जिज्ञासा, क्रियाशीलता और...

मार्कंडेय लाल चिरजीवी: सुजीत कुमार सिंह

मार्कंडेय लाल चिरजीवी: सुजीत कुमार सिंह

मार्कंडेय लाल चिरजीवी भारतेंदु के समकालीन कवि हैं, उन्हें कायस्थ समझा गया जबकि दलितों की एक जाति ‘दबहर’ से उनका सम्बन्ध था. यह शोध आलेख नवजागरणकालीन साहित्य में गहन रुचि...

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