शोध

महेशदत्त शुक्ल: सुरेश कुमार

महेशदत्त शुक्ल: सुरेश कुमार

हिंदी साहित्य के इतिहास-लेखन की परम्परा फ्रेंच भाषा के गार्सां द तासी के ‘इस्त्वार द ल लितरेत्यूर ऐंदूई ऐ ऐंदूस्तानी (1839) से आरम्भ हुई मानी जाती है. इसके बाद हिंदी...

हरदेवी की यात्रा: गरिमा श्रीवास्तव

हरदेवी की यात्रा: गरिमा श्रीवास्तव

गरिमा श्रीवास्तव का स्त्री-विमर्श से सम्बन्धित शोध और लेखन महत्वपूर्ण है. वह लगातार इस दिशा में अग्रसर हैं, स्त्री इतिहास के उन पन्नों को प्रकाश में ला रहीं हैं जिनपर...

उद्योतन सूरि कृत कुवलयमालाकहा: माधव हाड़ा

उद्योतन सूरि कृत कुवलयमालाकहा: माधव हाड़ा

आलोचक माधव हाड़ा प्राचीन पोथियों की वृहत कथाओं के हिंदी रूपांतरण और विवेचना का कार्य इधर वर्षों से कर रहें हैं. समालोचन पर ही आपने- ‘जिनहर्षगणि कृत रत्नशेखर नृप कथा’,...

राहुल सांकृत्यायन: बुद्ध, जापान और ‘जपनिया राछछ’: पंकज मोहन

राहुल सांकृत्यायन: बुद्ध, जापान और ‘जपनिया राछछ’: पंकज मोहन

औपनिवेशिक भारत में आज़ादी की लड़ाई सिर्फ़ राजनीतिक नहीं थी. जड़ों की तलाश में बुद्ध तक अनेक लेखक विचारक गये, उनमें राहुल सांकृत्यायन भी थे. जितनी विविधता, जिज्ञासा, क्रियाशीलता और...

मार्कंडेय लाल चिरजीवी: सुजीत कुमार सिंह

मार्कंडेय लाल चिरजीवी: सुजीत कुमार सिंह

मार्कंडेय लाल चिरजीवी भारतेंदु के समकालीन कवि हैं, उन्हें कायस्थ समझा गया जबकि दलितों की एक जाति ‘दबहर’ से उनका सम्बन्ध था. यह शोध आलेख नवजागरणकालीन साहित्य में गहन रुचि...

पद्मिनी कथा, देशज ऐतिहासिक कथा-काव्य और जायसी: माधव हाड़ा

पद्मिनी कथा, देशज ऐतिहासिक कथा-काव्य और जायसी: माधव हाड़ा

रानी पद्मिनी की कथा में कितना इतिहास है और कितनी कल्पना यह विवाद का विषय और शोध का क्षेत्र है, महाकवि जायसी के ‘पदमावत’ के स्रोतों को लेकर भी संभ्रम...

मुक्तिबोध : भाषा और अवचेतन का सवाल तथा ब्रह्मराक्षसीय ट्रैजेडी : अनूप बाली

समालोचन पर ही प्रकाशित सदाशिव श्रोत्रिय के मुक्तिबोध की लम्बी कविता ‘लकड़ी का रावण’ के भाष्य को लेकर शोधार्थी अनूप बाली ने असहमति प्रकट करते हुए कुछ सवाल उठाये थे....

यशोदा देवी: उपनिवेश और आयुर्वेदिक चिकित्सा: सौरव कुमार राय

उपनिवेश के विरुद्ध भारत का संघर्ष ‘नवजागरण’ की जब शक्ल ले रहा था तब उसकी एक लड़ाई चिकित्सा के क्षेत्र में भी लड़ी जा रही थी. इसे ‘आयुर्वेदिक राष्ट्रवाद’ भी...

मुक्तिबोधीय फैंटेसी में वास्तविक का पुनरागमन : अनूप बाली

अनूप बाली ‘स्कूल ऑफ़ कल्चर एंड क्रिएटिव एक्सप्रेशन’ अम्बेडकर विश्वविद्यालय दिल्ली के शोध छात्र हैं. मुक्तिबोध के फैंटेसी के मनोविश्लेषण पक्ष पर यह उनका संजीदा शोध लेख है.   मुक्तिबोधीय फैंटेसी में...

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