समीक्षा

कबीर ग्रन्थावली का परिमार्जित पाठ: दलपत सिंह राजपुरोहित

कबीर ग्रन्थावली का परिमार्जित पाठ: दलपत सिंह राजपुरोहित

श्यामसुन्दर दास द्वारा संपादित और नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा 1928 में प्रकाशित ‘कबीर ग्रन्थावली’ का परिमार्जित पाठ विख्यात आलोचक-लेखक पुरुषोत्तम अग्रवाल ने तैयार किया है और इसकी एक सुगठित और...

मोर्चे पर विदागीत: सन्तोष अर्श

मोर्चे पर विदागीत: सन्तोष अर्श

‘चाय पर शत्रु-सैनिक’ कविता के लिए विहाग वैभव को 2018 का भारतभूषण अग्रवाल पुरस्कार मिल चुका है. चयनकर्ता थे वरिष्ठ कवि अरुण कमल. इसी सितम्बर (2023) में पटना में वरिष्ठ...

इंडियंस: एक सभ्यता की यात्रा : रवींद्र त्रिपाठी

इंडियंस: एक सभ्यता की यात्रा : रवींद्र त्रिपाठी

कथाकार व यात्रा-लेखक अनिल यादव द्वारा हिंदी में अनूदित ‘इंडियंस’ नमित अरोरा का चर्चित यात्रा-वृत्तांत है जिसे ‘एक सभ्यता की यात्रा’ कहा गया है और जो पेंग्विन स्वदेश से छपा...

अवसाद का आनंद: बोधिसत्व

अवसाद का आनंद: बोधिसत्व

जयशंकर प्रसाद हिंदी साहित्य के लिए जितना कर सकते थे अधिकतम किया. कविता, कहानी, उपन्यास, और नाटक के क्षेत्रों में उनका काम कालजयी है. ऐसे केन्द्रीय व्यक्तित्व पर हिंदी में...

तृन धरि ओट : ऋत्विक भारतीय

तृन धरि ओट : ऋत्विक भारतीय

प्रसिद्ध कवि और लेखिका अनामिका का नया उपन्यास वाणी से प्रकाशित हुआ है, ‘तृन धरि ओट’ जो रामायण की सीता पर आधारित है. यह सीता का समकालीन पाठ करता है....

बहुभाषिकता, साहित्यिक संस्कृति और अवध: दलपत सिंह राजपुरोहित

बहुभाषिकता, साहित्यिक संस्कृति और अवध: दलपत सिंह राजपुरोहित

अपनी पहली ही पुस्तक, ‘The Hindi Public Sphere 1920-1940: Language and Literature in the Age of Nationalism, से विश्वभर में विख्यात लंदन विश्वविद्यालय (SOAS) की प्रोफ़ेसर फ़्रांचेस्का ऑर्सीनी की नयी...

मुनि जिनविजय और उनका आत्म वृत्तान्त :  रमाशंकर सिंह

मुनि जिनविजय और उनका आत्म वृत्तान्त : रमाशंकर सिंह

पुरातन जैन-साहित्य और प्राकृत-अपभ्रंश की पांडुलिपियों के अनुसंधान और संपादन में मुनि जिनविजय (1888-1976) का कार्य बहुत महत्वपूर्ण है, वह स्वाधीनता आंदोलन से भी जुड़े रहे. उनके ‘आत्म वृत्तान्त’ और...

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