मैं कहता आँखिन देखी : एलिस मुनरो
कनाडा की रहने वाली कथा लेखिका एलिस मुनरो (जन्म:१९३१) को २०१३ के साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया है. उन्हें २००९ का Man Booker International Prize भी प्राप्त है. उन्हें...
कनाडा की रहने वाली कथा लेखिका एलिस मुनरो (जन्म:१९३१) को २०१३ के साहित्य का नोबल पुरस्कार दिया गया है. उन्हें २००९ का Man Booker International Prize भी प्राप्त है. उन्हें...
कवयित्री, कथाकार और स्त्री-विमर्शकार अनामिका से अपर्णा मनोज ने उनके लेखन-कर्म, रचना-प्रक्रिया और सरोकारों पर यह संवाद पूरा किया है. अनामिका के पास सृजन और समझ का विस्तृत फलक है....
सुमन केशरी से हरप्रीत कौर की बातचीत सुमन केशरी हिंदी की महत्वपूर्ण कवयित्री के साथ ही साथ साहित्य और समाज की...
कथाकार तेजेन्द्र शर्मा से कालु लाल कुलमी ने यह दिलचस्प बातचीत की है. बातचीत का दायरा बड़ा है. डायस्पोरा साहित्य से लेकर भारत की वर्तमान स्थिति तक. कई बहसतलब बातें...
रोहिणी फ़िल्म और टेलिविज़न के साथ की थियेटर की भी प्रबुद्ध कलाकार हैं. अर्थ, सारांश और गाँधी जैसी फिल्मों में उनका अविस्मरणीय अभिनय है. सुशील कृष्ण गोरे ने विस्तृत फलक...
नामवर सिंह, मैनेजर पाण्डेय को ‘आलोचकों का आलोचक’ कहते हैं. पर इसके साथ ही मैनेजर पाण्डेय के यहाँ समकालीन रचनाशीलता की गहरी परख भी है. उनकी आलोचना सभ्यतापरक है, वह...
कवयित्री सुमन केशरी अपनी मानवीय दृष्टि और सहज अभिव्यक्ति के कारण अलग से पहचान ली जाती हैं. उनका लेखन परम्परा को आत्मसात करता हुआ समकालीन दृश्य को आलोकित और समृद्ध...
वरिष्ठ लेखक, अनुवादक, विचारक नन्दकिशोर आचार्य के कविता संग्रह 'छीलते हुए अपने को' के लिए २०१९ के साहित्य अकादमी पुरस्कार की घोषणा हुई है. समालोचन की तरफ से बहुत-बहुत बधाई....
कहानी संवाद है – राजेन्द्र यादव राजेन्द्र यादव अपने लेखन के कारण प्रशंसित, संपादन के कारण चर्चित और अपने जीवन के कारण विवादित रहे हैं. आप उनके...
तुलसी राम से अरुण देव की बातचीत आप जवाहरलाल नेहरु विश्वविद्यालय के अन्तर-राष्ट्रीय अध्ययन संस्थान में पिछले कई सालों से अध्यापन कार्य कर रहे हैं. आपको दलित-बुद्धिजीवी के रूप...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum