पाई: एक रहस्यमय दुनिया: सुमीता ओझा
साहित्य की दैनंदिनी में दीगर मसले भी शामिल हैं. केवल साहित्य से तो साहित्य भी संभव नहीं. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी अपनी ‘सरस्वती’ में साहित्य के साथ इतिहास, विज्ञान, वाणिज्य आदि...
साहित्य की दैनंदिनी में दीगर मसले भी शामिल हैं. केवल साहित्य से तो साहित्य भी संभव नहीं. आचार्य महावीरप्रसाद द्विवेदी अपनी ‘सरस्वती’ में साहित्य के साथ इतिहास, विज्ञान, वाणिज्य आदि...
बनावटी या कृत्रिम को हमेशा से दोयम दर्जे की जगह दी जाती रही है. मनुष्य इतिहास में पहली बार ऐसा हुआ है कि ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता’ को मानवीय बुद्धिमत्ता से बेहतर...
तार्किक चेतना से हासिल की गयी विज्ञान की उपलब्धियों को उनके यहाँ पहले से होने जैसे किसी कथन से छोटा करने की प्रवृत्ति लगभग सभी धर्मों में देखी जा सकती...
2022 का नोबेल पुरस्कार चिकित्सा के क्षेत्र में डॉ. स्वांते पैबो को दिए जाने की घोषणा हुई है. क्या है उनके ख़ोज का विषय और उसका क्या महत्व है, चर्चा...
विज्ञान और वैज्ञानिक चेतना दोनों के प्रचार प्रसार की कितनी आवश्यकता भारत को है इसे बताने के आवश्यकता नहीं है. व्यक्तिगत प्रयासों से वैज्ञानिक चेतना और विज्ञान को नई पीढ़ी...
गणित में शून्य के महत्व से आज हम सब भलीभांति परिचित हैं, दर्शन में भी शून्य का अपना अर्थ है. क्या शून्य की खोज भारत ने की थी? कहानी इतनी...
भाषा की दुनिया अपार अनंत है, नाना तरह की चीजें उसमें घटित होती रहती हैं. साहित्य तो उसका एक हिस्सा है. इस हिस्से में भी सब कहाँ प्रत्यक्ष हो पाता...
उपनिवेश के विरुद्ध भारत का संघर्ष ‘नवजागरण’ की जब शक्ल ले रहा था तब उसकी एक लड़ाई चिकित्सा के क्षेत्र में भी लड़ी जा रही थी. इसे ‘आयुर्वेदिक राष्ट्रवाद’ भी...
आशीष बिहानी हिंदी के कवि हैं और ‘कोशिकीय एवं आणविक जीव विज्ञान केंद्र’ (CCMB), हैदराबाद में जीव विज्ञान में शोधार्थी हैं. ज़ाहिर है उन्हें हिंदी में वैज्ञानिक शोध पत्रिकाएँ की...
Ward, 1970-71 : George TookerAlienation(अलगाव,विलगाव, अपरिचय, अजनबीपन आदि) का सिद्धांत न केवल समाज विज्ञान में बल्कि सहित्य में भी महत्वपूर्ण माना जाता है. सामाजिक प्राणी से एक अकेले असहाय इकाई में...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum