आलेख

रैन भई चहुँ देस: अमीर ख़ुसरो: माधव हाड़ा

रैन भई चहुँ देस: अमीर ख़ुसरो: माधव हाड़ा

अमीर ख़ुसरो साहित्य (हिंदी, उर्दू, फ़ारसी) और इतिहास दोनों के लिए महत्वपूर्ण हैं. उनके व्यक्तित्व और महत्व पर माधव हाड़ा का यह आलेख रुचिकर है, प्रस्तुत है.

देह का अपने ‘भीतर’ से संवाद:  मदन सोनी

देह का अपने ‘भीतर’ से संवाद: मदन सोनी

लगभग चार दशकों से कवि-कर्म में संलग्न रुस्तम के सात कविता संग्रह प्रकाशित हैं. प्रचलित राजनीतिक मुहावरों से अलग सम्पूर्ण अस्तित्व के लिए उनकी कविताएँ लड़ती हैं. उनमें आदिम होने...

ख़ालिद जावेद: अँधेरों की उजास: उदयन वाजपेयी

ख़ालिद जावेद: अँधेरों की उजास: उदयन वाजपेयी

भारतीय साहित्य विशेष रूप से उपन्यासों के लिए साल 2022 कामयाब रहा, हिंदी के उपन्यास ‘रेत-समाधि’ के अनुवाद को जहाँ ‘इंटरनेशनल बुकर पुरस्कार’ मिला वहीं उर्दू के उपन्यास ‘नेमत ख़ाना’...

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद बनाम पितृसत्ता : रूबल

नारीवाद आधुनिक विश्व के कुछ महत्वपूर्ण विचारों में से एक है, यह जनांदोलन भी है और राजनीति भी. समानता, स्वतंत्रता और व्यक्ति की गरिमा जैसे मूल्यों से उपजे इसी नारीवाद...

ग़ालिब की शुरुआती शायरी पर एक अधूरी नज़र: सच्चिदानंद सिंह

ग़ालिब की शुरुआती शायरी पर एक अधूरी नज़र: सच्चिदानंद सिंह

सच्चिदानंद सिंह ग़ालिब के गम्भीर अध्येता हैं. ग़ालिब पर केन्द्रित यह उनका चौथा आलेख है इससे पहले आपने ‘दस्तंबू’, ‘ग़ालिब की दिल्ली’ तथा ‘समलैंगिक कामुकता की रवायत और ग़ालिब’ पढ़े...

रामचरितमानस का बालकाण्ड: प्रवीण कुमार

रामचरितमानस का बालकाण्ड: प्रवीण कुमार

महाकाव्य मनुष्यों की उदात्तकथाएं हैं, चरित्रों में देवत्व आरोपित हो जाने पर उनके प्रणय आदि पर कम ध्यान जाता है, पर ये प्रसंग कहीं-न-कहीं से अपनी चमक बिखेर ही देते...

मैनेजर पाण्डेय: अशोक वाजपेयी

मैनेजर पाण्डेय: अशोक वाजपेयी

आचार्य रामचंद्र शुक्ल से विकसित तथा रामविलास शर्मा से आगे बढ़ती हिंदी आलोचना की परम्परा ही मैनेजर पाण्डेय की परम्परा है. साहित्य की सामाजिकता के वह हिंदी ही नहीं भारत...

बाघ और सुगना मुंडा की बेटी: महेश कुमार

बाघ और सुगना मुंडा की बेटी: महेश कुमार

आदिवासी साहित्य चिंतन की बारीकियों को खोलता हुआ अध्येता महेश कुमार का यह आलेख कवि अनुज लुगुन की लम्बी कविता ‘बाघ और सुगना मुंडा की बेटी’ के सहारे आगे बढ़ता...

उत्तराखण्ड में नवलेखन-7: बटरोही

उत्तराखण्ड में नवलेखन-7: बटरोही

उत्तराखण्ड की साहित्यिक और सांस्कृतिक विरासत को समझने, सहेजने और नयी पीढ़ी में उसके अंकुरण को पहचानने का जैसा उद्यम वरिष्ठ लेखक बटरोही ने इधर किया है वह रेखांकित करने...

खोए  हुए मगध में  एक घायल आवाज़: आशुतोष दुबे

खोए  हुए मगध में  एक घायल आवाज़: आशुतोष दुबे

श्रीकांत वर्मा की कविताओं ने इधर समकालीन अर्थवत्ता प्राप्त की है. शासक और सत्ता की आंतरिक विडम्बनाओं को जिस तीखे ढंग से उनकी कविताओं ने रेखांकित किया है, वह अपूर्व...

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