राकेश स्मृति : कुमार अम्बुज
अघटित के घटित होने का समय कुसमय ही होता है, उसे अभी इस समय में नहीं घटित होना था. राकेश श्रीमाल (5 दिसम्बर,1963- 23 दिसम्बर, 2022) ने अपने होने से...
अघटित के घटित होने का समय कुसमय ही होता है, उसे अभी इस समय में नहीं घटित होना था. राकेश श्रीमाल (5 दिसम्बर,1963- 23 दिसम्बर, 2022) ने अपने होने से...
सुरेंद्र मनन लेखक के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित फ़िल्मकार हैं. गांधी पर उनकी फ़िल्म ‘गाँधी अलाइव इन साउथ अफ्रीका’ बहुत सराही गयी है. वर्धा के सेवाग्राम में गांधीजी पर...
आज हिंदी के कुछ ही लेखक बचे हैं जिन्होंने ब्रिटिश भारत में आँखें खोली थीं- उनमें से एक है कवि-कथाकार रामदरश मिश्र, जब देश स्वतंत्र हुआ वह २३ वर्ष के...
नवीन सागर (29 नवम्बर, 1948-14 अप्रैल, 2000) की रचनात्मक दुनिया में कविताएँ, कहानियां, बाल साहित्य और चित्र आदि शामिल हैं. उनकी सृजनात्मक उत्तेजना और अ-थिर जीवन के साथी रहे वरिष्ठ...
कुछ लेखक अधूरे प्रेम की तरह होते हैं, लौट-लौट कर आते हैं. आकर्षण की तीव्रता मंद नहीं पड़ती. ऐसे ही लेखक हैं मलयज. कवि मलयज का एक रूप उनके पत्रों...
अपराधियों के माथे पर दाग़ लगाकर मुगल काल में उन्हें ‘दाग़े-ए-शाही’ (हिमाचल प्रदेश) में सजा काटने के लिए भेज दिया जाता था, बाद में ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपने अपराधियों...
पल्लव ‘बनास जन’ के संपादक हैं, लेखक हैं, साहित्य के अनेक मोर्चों पर सक्रिय रहते हैं, प्यारे इंसान हैं. उदयपुर के प्रो. नवलकिशोर जी की पल्लव से आत्मीयता थी. यह...
हर अच्छे इंसान का एक घर होता है चाहे वह बे-घर ही क्यों न हो जहाँ से उसे अच्छे बने रहने की शक्ति मिलती है. महबूब टीवी पत्रकार कमाल ख़ान...
जन्मतिथि संकेत है वहीं स्मृति का पृष्ठ भी, जहाँ पिछला सबकुछ लिखा होता है और आगत की उम्मीद का नया पन्ना खुलता है. अशोक वाजपेयी का जीवन हिंदी संस्कृति के...
लखनऊ की संस्कृति में रचे बसे और उसकी बुनावट के गहरे जानकार योगेश प्रवीन पर लिखते हुए संतोष अर्श ने शहर लखनऊ के ख़ास अंदाज़ को मूर्त कर दिया है....
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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