प्रदीप सैनी की कविताएँ
"कभी कभी आत्मा में धँसी सिर्फ़ एक पंक्ति कहने को/लिखता हूँ पूरी कविता " जैसे बीज में वृक्ष रहता है. कभी-कभी तो एक शब्द में रहती है पूरी कविता. हवा,...
"कभी कभी आत्मा में धँसी सिर्फ़ एक पंक्ति कहने को/लिखता हूँ पूरी कविता " जैसे बीज में वृक्ष रहता है. कभी-कभी तो एक शब्द में रहती है पूरी कविता. हवा,...
मूर्तिकार अपने शिल्प में डूबा हुआ ख़ुद में डूब जाता है. रचनात्मकता भी अध्यात्म है. सृजनात्मक लोगों को अलग से प्रार्थना की आवश्यकता नहीं रहती, उनका सृजन-कर्म ही मंत्र है....
क्रिकेट भारत का लोकप्रिय खेल है, कुछ कवि भी खेलते होंगे, देखते तो होंगे ही. क्रिकेट पर हिंदी में कविताएँ फिलहाल मेरी स्मृति में आ नहीं रहीं हैं. नीलोत्पल की...
आशुतोष दुबे की कविताओं में शिल्प का सौष्ठव और कहन की बारीकी देखते बनती है. उनका पाँचवाँ कविता संग्रह ‘सिर्फ़ वसंत नहीं’ सूर्य प्रकाशन मंदिर, बीकानेर से प्रकाशित हुआ है....
हेमंत देवलेकर बहुमुखी व्यक्तित्व रखते हैं. अभिनय, संगीत, नाट्य लेखन, रंग-कर्म, कविताएँ आदि उनके क्षेत्र हैं. युवा रचनाकारों की अचूक पहचान और उनकी मदद भी उनके व्यक्तित्व का एक सराहनीय...
हिंदी और मराठी का गहरा नाता है एक तो दोनों की लिपि देवनागरी है, फिर प्रारम्भिक खड़ी बोली हिंदी ने मराठी और बांग्ला साहित्य के अनुवादों से अपने को खूब...
पृथ्वी से सूर्य की दूरी पर इस धरा का अस्तित्व निर्भर है. दूरी बढ़ी तो जीवन बर्फ़ और घटी तो रेत. अस्तित्व अतिरेक से बच कर ही संभव है- चाहे...
जिनके पास कोई नदी नहीं, वे अ-भागे हैं, जिन्होंने अपनी नदियों को नष्ट कर दिया है वे अपराधी कहलाये जाएंगे. नदी प्रार्थनाओं में, कामनाओं में, दिनचर्या में बहती रही है....
कवि-आलोचक अच्युतानंद मिश्र की इन नयी कविताओं में उदासी और निराशा का व्यक्तिगत से अधिक कालगत सन्दर्भ है. यह इस समय का स्थायी भाव है. यह शोक काल है. कवि...
हिंदी कविता में युवा स्त्री स्वर यौनिकता को लेकर सचेत है और मुखर भी. देखना यह होता है कि कविता के शिल्प में ये आवाज़ें किस तरह ढल रहीं हैं....
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