अच्छा आदमी था: मायने और महत्व: अंजली देशपांडे
युवा कथाकार किंशुक गुप्ता की कहानी, ‘अच्छा आदमी था’ जब ‘समालोचन’ पर प्रकाशित हुई तो उसने बहुत से लेखकों का ध्यान भी खींचा. कथाकार, पत्रकार, और एक्टिविस्ट अंजली देशपांडे ने...
युवा कथाकार किंशुक गुप्ता की कहानी, ‘अच्छा आदमी था’ जब ‘समालोचन’ पर प्रकाशित हुई तो उसने बहुत से लेखकों का ध्यान भी खींचा. कथाकार, पत्रकार, और एक्टिविस्ट अंजली देशपांडे ने...
किंशुक गुप्ता के कहानी-संग्रह- ‘ये दिल है कि चोर दरवाज़ा’ के विषय में लेखिका बलवन्त कौर का मानना है कि ‘ये कहानियाँ नई लैंगिक अस्मिताओं की कहानियाँ हैं. जो मनःस्थिति...
उज़्मा कलाम की अभी कुछ ही कहानियाँ प्रकाशित हुईं हैं पर जिस तरह से भाषा और शिल्प पर उनकी पकड़ दिखती है क़ाबिले-तारीफ़ है. यह कहानी एक पल के लिए...
'साहेब, बीवी और गैंस्टर' जैसी फ़िल्मों का सम्पादन, लघु फ़िल्म 'इतवार' का लेखन एवं निर्देशन तथा अनेक विज्ञापन फ़िल्मों के निर्माण से जुड़े राहुल श्रीवास्तव हिंदी के कथाकार भी हैं....
मणिपुर में मैतै और कुकी समुदाय के बीच अभी जो जातीय हिंसा हुई है, उसमें रिश्ते भी लहूलुहान हुए हैं. जो प्रत्यक्ष है उसकी ख़बर बनती है पर जो दिल...
एलोपैथिक चिकित्सा पद्धति के सुगम होने से पूर्व प्रसव सहायिका (दाई) की कुशलता और ज्ञान के महत्व को समझते हुए भी उन्हें स्वीकार्यता नहीं मिली न सम्मान ही, जबकि दीगर...
लोक देवताओं पर शोध करने वाली एक छात्रा जब अपने घर की एक अनूठी प्रथा की जड़ों की तलाश करने निकलती है तो उसे एक ऐसी कथा मिलती है जिसमें...
ख़ुर्शीद अकरम उर्दू के प्रसिद्ध लेखक हैं. उनकी यह कहानी इंसानों के बीच घटित होती है, फिर जानवरों में चली जाती है. ख़ुर्शीद अकरम ने बड़े कौशल से कहानी को...
भाषा में जब हत्याएँ भर जाती हैं, उसका फूल मुरझा जाता है, उसमें कांटे उग आते हैं. इसका असर फूल जैसे कोमल मन पर आघात की तरह होता है. इस...
समालोचन पर किंशुक गुप्ता की यह तीसरी कहानी है, उनकी कहानियाँ हिंदी और अंग्रेजी की अन्य पत्रिकाओं में भी इधर छपीं और प्रशंसित हुईं हैं. आगामी पुस्तक मेले में उनका...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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