शचीन्द्र आर्य की कविताएँ
शचीन्द्र आर्य अपनी कविताओं में कुछ अलग और उसे अलग ढंग से कहने की मुखर मुद्रा में नहीं रहते पर ...
Home » 2022 कविताएँ
शचीन्द्र आर्य अपनी कविताओं में कुछ अलग और उसे अलग ढंग से कहने की मुखर मुद्रा में नहीं रहते पर ...
बाघेन (बागे) नदी के किनारे विन्ध्याचल पर्वत श्रृंखला पर स्थित कालिंजर (बांदा, उत्तर-प्रदेश) प्राचीन दुर्ग है. अब इसमें सत्ता की ...
शोक इस दशक की हिंदी कविता का बीज शब्द है, इधर प्रकाशित अधिकतर संग्रहों की कविताओं में उसकी उदासी देखी ...
अमन त्रिपाठी इधर उभरकर आने वाले कवियों में अपनी ओर अलग से ध्यान खींचते हैं, वे कम लिखते हैं पर ...
प्रिया वर्मा की कविताओं पर टिप्पणी में देवीप्रसाद मिश्र ने ‘पितृपक्षीय गार्हस्थ्य को उजाड़ने के आग्रहों से भरी’ कहते हुए ...
प्रिया वर्मा की कविताएँ इधर उभर कर सामने आयीं हैं. वे लगातार लिख रहीं हैं. हिंदी कविता में अब दशक ...
विष्णु खरे ने समालोचन पर ही एक जगह लिखा था- ‘महेश वर्मा उन प्रतिभावान युवा कवि-कवयित्रियों में से हैं जिनकी ...
देवी प्रसाद मिश्र हिंदी के विरल और विशिष्ट कवि हैं. कवि-कर्म के प्रति अंतिम सीमा तक प्रतिबद्ध हैं. उनकी कविताओं ...
शचीन्द्र आर्य की प्रस्तुत कविताओं की ताज़गी अलग दिखने के किसी सचेत प्रयास का कोई नियंत्रित परिणाम नहीं है. कवि ...
फ़ैज़ ने अपने एक शेर में कहा है कि ‘जो कू-ए-यार से निकले तो सू-ए-दार चले’. प्रेम का बदलाव से, ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum