गिरीश कर्नाड : राजाराम भादू
लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ ...
लेखक, अभिनेता, निर्देशक और सामाजिक कार्यकर्ता के रूप में गिरीश कर्नाड की उपस्थिति बेहद जानदार है. उनके आत्मकथात्मक संस्मरण कन्नड़ ...
विजयदेव नारायण साही की आलोचनात्मक मेधा को स्वीकार करते हुए भी आलोचक के रूप में उनके अवदान और महत्व पर ...
तेजी ग्रोवर हमारे समय की विरल और विशिष्ट रचनाकार हैं. जहाँ उन्होंने नॉर्वीजी, स्वीडी, फ़्रांसीसी, लात्वी आदि भाषाओं के साहित्य ...
इतिहास में कुछ जगहें ऐसी होती हैं जहाँ वर्तमान बार-बार जाता है. नालंदा ऐसी ही जगहों में से है. क्या ...
विशाल श्रीवास्तव के कविता संग्रह का शीर्षक है, ‘पीली रोशनी से भरा कागज़’. साहित्य अकादेमी ने इसे २०१६ में प्रकाशित ...
‘पुरस्कार’ को प्रेम और राष्ट्र-प्रेम के द्वंद्व की कहानी के रूप में देखा जाता रहा है. इसके प्रकाशन के शतवर्ष ...
‘पुरस्कार’ को प्रेम और राष्ट्र-प्रेम के द्वंद्व की कहानी के रूप में देखा जाता रहा है. इसके प्रकाशन के शतवर्ष ...
हम सब अनूदित संस्कृतियों के नागरिक हैं. इस अनुवाद में बड़ा हिस्सा कविता का है. धर्मग्रन्थ एक समय कविता की ...
कविताएँ अच्छी हों तो पढ़ने का सुख देती हैं. प्रकाशित करने का भी श्रम सार्थक होता है. कविता और प्रकारांतर ...
मुंबई महाकाव्य है. अंतहीन अध्यायों का उपन्यास. शहरों को पढ़ना, सभ्यता को बदलते हुए देखना है. विजय कुमार की पुस्तक ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum