सौ साल के राजकपूर : आशुतोष दुबे
राजकपूर ने हिंदी सिनेमा की मजबूत नींव रखी. उनकी फिल्में उन इमारतों की तरह हैं जिनसे आज़ादी की उम्मीद का ...
राजकपूर ने हिंदी सिनेमा की मजबूत नींव रखी. उनकी फिल्में उन इमारतों की तरह हैं जिनसे आज़ादी की उम्मीद का ...
किसी कवि की परम्परा कितनी लम्बी कितनी गहरी हो सकती है इसे जानना हो तो ज्ञानेन्द्रपति की कविताएँ पढ़नी चाहिए. ...
सूर्य जब कलाओं में उदित होता है, लगता है जैसे पहली बार उसे हम देख रहे हैं. कविता निकट में ...
गजानन माधव मुक्तिबोध (1917-1964) की कालजयी कविता ‘अँधेरे में’ के अनेक पाठ हैं. उसे तरह-तरह से समझा गया है. कालजयी ...
हिंदी साहित्य में गिरिराज किराडू की उपस्थिति संपादन और आयोजन में नवाचारी है. उत्सवधर्मिता और अंतर-भाषाई सूझबूझ के साथ वे ...
देवी प्रसाद मिश्र हिंदी कहानी के लिए अब एक चुनौती हैं. ‘मनुष्य होने के संस्मरण’ के एक वर्ष पश्चात ही ...
जेम्स ज्वायस की कहानी ‘द डेड’ का प्रकाशन 1914 में हुआ था. इसे विश्व की कुछ महत्वपूर्ण कहानियों में से ...
पायल कपाड़िया की फ़िल्म ‘ऑल वी इमेजिन ऐज़ लाइट’ दुनिया भर में सराही जाने के बाद भारत के सिनेमाघरों में ...
पटना का इतिहास सैयद हसन असकरी का प्रिय विषय था. वह मध्यकालीन भारत ख़ासकर बिहार के विशेषज्ञ इतिहासकार थे. आज ...
समय की शिला पर कवि अपना समय भी लिखता है. अनिद्रा वैसे तो अच्छी बात नहीं पर जब हाहाकार उठ ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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