कठिन लोक में साहित्य का कच्चा ठीहा: अनूप सेठी
महानगरों से हटकर कस्बों और छोटे शहरों में भी स्थानीय लेखकों और नवांकुरों की साहित्यिक सरगर्मियों से आबाद साहित्य के ...
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महानगरों से हटकर कस्बों और छोटे शहरों में भी स्थानीय लेखकों और नवांकुरों की साहित्यिक सरगर्मियों से आबाद साहित्य के ...
कुँवर नारायण प्रार्थना के कवि हैं. दैनंदिन के अवरोधों से मुठभेड़ के लिए आवश्यक जीवन-विवेक और साहस के कवि. ये ...
बीसवीं सदी को प्रसिद्ध इतिहासकार एरिक हाब्सबाम ‘अतियों का युग’ कहते हैं. एक भारतीय के लिए बीसवीं सदी के क्या ...
हिंदी सिनेमा के गीतकार शैलेन्द्र (30 अगस्त, 1923–14 दिसम्बर, 1966) का यह जन्म शताब्दी वर्ष है. हिंदी का एक कवि ...
तार्किक चेतना से हासिल की गयी विज्ञान की उपलब्धियों को उनके यहाँ पहले से होने जैसे किसी कथन से छोटा ...
‘कौन जात हो भाई’ कविता से चर्चित बच्चा लाल ‘उन्मेष’ के तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कुछ दिन ...
मालवा की मिट्टी की गंध और काया की मिट्टी की नश्वरता लिए संगीता गुन्देचा का इधर प्रकाशित कविता-संग्रह- ‘पडिक्कमा’ चर्चा ...
पद्म भूषण आचार्य शिवपूजन सहाय (9 अगस्त, 1893-21 जनवरी, 1963) की आज 130वीं जयंती है. हिंदी, साहित्य और नवजागरण के ...
प्रेमचंद की परम्परा क्या है और उनकी परम्परा का किस तरह विकास हुआ है. यह ऐसा विषय है जिसपर लगातार ...
प्राग में निर्मल वर्मा के मित्रों में मिलान कुंदेरा भी शामिल थे. निर्मल वर्मा ने उनकी कहानियों के मूल से ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
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