वीस्वावा शिम्बोर्स्का के सौ साल: निधीश त्यागी
वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश ...
Home » 2024 आलेख
वीस्वावा शिम्बोर्स्का से हिंदी साहित्यिक समाज सुपरिचित है. अशोक वाजपेयी, प्रो. मैनेजर पाण्डेय, विष्णु खरे, विजय कुमार, मंगलेश डबराल, राजेश ...
भारतीय साहित्य चोरों के प्रति सहृदय है. और चोरों ने भी समय-समय पर साहित्य के प्रति अपनी सहृदयता प्रकट करने ...
रेल के आवागमन से सामाजिक गतिशीलता को तीव्रता मिली. साथ ही इससे औपनिवेशिक भारत में कुछ मुश्किलें भी पैदा हुईं. ...
बनावटी या कृत्रिम को हमेशा से दोयम दर्जे की जगह दी जाती रही है. मनुष्य इतिहास में पहली बार ऐसा ...
यह वाल्मीकि रामायण के समानांतर पारायण का दूसरा और अंतिम हिस्सा है. इसकी विश्लेषणपरक तार्किकता ने महाकाव्यों को वस्तुपरक ढंग ...
यह भारतीय साहित्य और प्रकारांतर से समाज में व्यवस्था और न्याय की तलाश है. चंद्रभूषण अध्ययन, मनन और खुली दृष्टि ...
लोक-गीत संवेदना, चेतना और दृष्टि के सामूहिक स्वर हैं इसलिए अक्सर इन गीतों का कोई एक गीतकार नहीं होता. आज़ादी ...
अरुण कोलटकर जैसे कवि-कलाकार किसी भाषा में कभी-कभी ही संभव होते हैं. वह दो भाषाओं में एक साथ हुए. ऐसे ...
अरुण बालकृष्ण कोलटकर (1 नवंबर, 1932 - 25 सितंबर 2004) मराठी और अंग्रेजी दोनों भाषाओं के महत्वपूर्ण कवि हैं. उनकी ...
अरुण बालकृष्ण कोलटकर (1 नवंबर, 1932 - 25 सितंबर 2004) विश्व के बड़े कवियों में से एक हैं. वह कबीर ...
समालोचन साहित्य, विचार और कलाओं की हिंदी की प्रतिनिधि वेब पत्रिका है. डिजिटल माध्यम में स्तरीय, विश्वसनीय, सुरुचिपूर्ण और नवोन्मेषी साहित्यिक पत्रिका की जरूरत को ध्यान में रखते हुए 'समालोचन' का प्रकाशन २०१० से प्रारम्भ हुआ, तब से यह नियमित और अनवरत है. विषयों की विविधता और दृष्टियों की बहुलता ने इसे हमारे समय की सांस्कृतिक परिघटना में बदल दिया है.
सर्वाधिकार सुरक्षित © 2010-2023 समालोचन | powered by zwantum